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रेडियो जॉकी बनकर कमाएं पैसा

एक जमाना था जब पूरे देश में रेडियो का बोलबाला था। रेडियो का आम आदमी की जिंदगी में एक अहम स्थान था और सेलिब्रेटी भी रेडियो से बड़े शौक से जुड़ते थे। फिर दौर आया जब टीवी और इंटरनेट ने अपनी-अपनी पहचान बना ली। घरों में रेडियो की जगह टेलीविजन ने ले ली और रेडियो की लोकप्रियता घटने लगी।

अब फिर समय बदला है और जैसा एफएम रेडियो के आगमन के साथ ही रेडियो में भी क्रांति आई। लोग एक बार फिर रेडियो से जुड़ने लगे। एफएम रेडियो ने लोगों की बदलती पसंद को जाना और पारंपरिक संगीत कार्यक्रमों से हटकर श्रोताओं को नए जमाने का संगीत परोसा। एफएम रेडियो में रेडियो जॉकी (आरजे) ने अपनी अलग और प्रभावी पहचान बनाई है। आरजे से रेडियो में भी ग्लैमर आया। एफएम रेडियो ने पूरे बाजार को बदलकर उसे नए सांचे में ढाला और नई परिभाषा दी है।

आज स्थिति यह है कि मल्टीनेशनल कंपनी, बड़ी इंडस्ट्री से लेकर छोटे उद्योग भी एफएम रेडियो को अपने प्रचार का प्रबल माध्यम मानते हैं। जानकार मानते हैं कि एफएम रेडियो के क्षेत्र में यह केवल शुरुआत है और इसमें अपार संभावनाएं हैं। जाहिर है जब इंडस्ट्री बढ़ेगी तो उसमें रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। संगीत में रुचि रखने वालों के लिए आरजे बनने के रास्ते खुले हैं। आरजे वह होता है जो संगीत प्रोग्राम को अपने अनौखे अंदाज में प्रस्तुत करता है और अपने सुननेवालों को संगीत की जानकारी देता है।

आरजे चुनौतीपूर्ण करियर है और इसमें रोमांच और लोकप्रियता भी बहुत है। यह एकमात्र ऐसा प्रोफेशन है, जिसमें आपको लोग आपकी आवाज से पहचानते हैं और आप बिना पब्लिक के सामने आए ही लोकप्रिय हो जाते हैं। साथ ही इसमें अच्छी कमाई भी है।

आरजे को लाइव प्रोग्राम के दौरान सुनने वालों से उनकी रुचि के अनुरूप बातें करनी होती हैं और उनकी पसंद का गीत भी सुनाना होता है। इसके अलावा सेलिब्रेटी से इंटरव्यू, नए अनुबंध और म्यूजिक इंफोर्मेशन जैसी चीजें भी आरजे की प्रोफाइल में शामिल होती है।

एक सफल रेडियो जॉकी बनने के लिए जरूरी है कि आप खुद की दिलचस्प स्टाइल में सुनने वालों से बातें करना सीखें और ज्यादा रेडियो सुनें। संगीत के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाएं और म्यूजिक इंडस्ट्री के बारे में खुद को अपडेट रखें। आपका संवाद प्रभावी होना चाहिए और खासतौर पर आपका उच्चारण साफ होना चाहिए।

इसके लिए जरूरी है कि आप अपना भाषा ज्ञान बढ़ाएं और नियमित अभ्यास करें। अगर आप इस क्षेत्र में दिलचस्पी रखते हैं तो आब्जर्व करें कि कैसे आरजे किस प्रकार कॉल अटेंड करते हैं, उनसे कैसे दोस्ताना रवैया रखकर बातें करते हैं। कभी-कभी लाइव प्रोग्राम में अजीब स्थिति पेश आ जाती है, आप गौर करें कि कैसे एक्सपर्ट आरजे इन हालातों को नियंत्रण में लाते हैं। योग्यता- आरजे पूरी तरह प्रतिभा पर आधारित काम है। इसके लिए किसी बड़ी डिग्री की जरूरत नहीं होती, लेकिन आपको संगीत का जानकार होना जरूरी है। इसके अलावा आपको अपनी आवाज में ऊर्जा पैदा करनी होगी और अपनी भाषा को प्रभावशाली बनानी होगी। (एजेंसी)

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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