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मुंहासे से बचाव के लिए करें ये उपाय

गर्मियों में पसीने के कारण हुए संक्रमण से आमतौर पर दाने निकलते हैं। वाइटहेड, ब्लैकहेड के अलावा पस वाले दाने भी हो सकते हैं। इसी तरह फोड़े-फुंसी और बाल तोड़ भी हो सकते हैं। असल में, जब कीटाणु स्किन के नीचे पहुंच जाते हैं और पस बनाना शुरू कर देते हैं तो यह समस्या हो जाती है। यह स्थिति काफी तकलीफदेह होती है। कई बार बुखार भी आ जाता है। आम धारणा है कि ऐसा आम खाने से होता है, लेकिन यह सही नहीं है। यह मॉइस्चर में पनपनेवाले बैक्टीरिया की वजह से होता है।

क्या करे: एंटी-बैक्टीरियल साबुन से दिन में दो बार नहाएं। शरीर को जितना मुमकिन हो, सूखा और फ्रेश रखें। नॉन-ऑयली और कूलिंग क्लींजर, फेसवॉश, लोशन और डियो यूज करें। एंटी-बायोटिक क्रीम लगाएं, जिनके जेनरिक नाम फ्यूसिडिक एसिड और म्यूपिरोसिन हैं। हरी सब्जियां, खासकर खीरा आदि खूब खाएं। चाय, कॉफी और तला-भुना कम खाएं। गर्म तासीर वाली चीजें जैसे अदरक, लहसुन, अजवाइन, मेथी आदि कम खाएं। इनसे ग्लैंड्स ऐक्टिव हो जाते हैं, जिससे कीटाणु जल्दी आ जाते हैं। ग्लैंड्स ज्यादा काम कर रहे हैं तो क्लाइंडेमाइसिन लोशन लगा सकते हैं। यह मार्केट में कई ब्रैंड नेम से मिलता है। इसके अलावा एंटी-एक्ने साबुन एक्नेएड , एक्नेक्स , मेडसोप आदि भी यूज कर सकते हैं।
इन्फेक्शन
फंगल इन्फेक्शन रिंग वर्म, यानी दाद-खाज की समस्या गर्मियों में बढ़ जाती है। इसमें गोल-गोल टेढ़े-मेढ़े रैशेज जैसे नजर आते हैं, रिंग की तरह। इनमें खुजली होती है और ये एक इंसान से दूसरे में भी फैल सकते हैं।
क्या करे: एंटी-फंगल क्रीम क्लोट्रिमाजोल लगाएं। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से ग्राइसोफुलविन टैब्लेट ले सकते हैं। ये दोनों जेनरिक नेम हैं।
कॉन्टैक्ट एलर्जी: आर्टिफिशल जूलरी, बेल्ट, जूते आदि के अलावा जिन कपड़ों से रंग निकलता है, उनसे कई बार एलर्जी हो जाती है जिसे कॉन्टैक्ट एलर्जी कहा जाता है। जहां ये चीजें टच होती हैं, वहां एक लाल लाइन बन जाती है और दाने बन जाते हैं। इनमें काफी जलन होती है। अगर जूलरी आदि को लगातार पहनते रहेंगे तो बीमारी बढ़ जाएगी और उस जगह से पानी निकलना (एक्जिमा) शुरू हो जाएगा।
क्या करे: सबसे पहले उस चीज को हटा दें, जिससे एलर्जी है। उस पर हाइड्रोकोर्टिसोन लगाएं।
एथलीट्स फुट जो लोग लगातार जूते पहने रहते हैं, उनके पैरों की उंगलियों के बीच की स्किन गल जाती है। समस्या बढ़ जाए तो इन्फेक्शन नाखून तक फैल जाता है और वह मोटा और भद्दा हो जाता है।
क्या करे: जूते उतार कर रखें और पैरों को हवा लगाएं। जूते पहनना जरूरी हो तो पहले पैरों पर पाउडर डाल लें। क्लोट्रिमाजोल क्रीम या पाउडर लगाएं।
शरीर की बदबू
पसीने में मॉइस्चर की वजह से गर्मियों में हमारे शरीर में बदबू आने लगती है। शरीर में मौजूद बैक्टीरिया हाइड्रोजन सल्फाइड बनाने लगते हैं, जिससे बदबू पैदा होती है। कई लोगों के पसीने में पीलापन भी आता है।
दिन में दो-तीन बार नहाएं। कूलिंग टेलकम पाउडर या एंटी-फंगल पाउडर यूज करें या कैलेमाइन लोशन लगाएं। एंटी-फंगल पाउडर मार्केट में माइकोडर्म , अब्जॉर्ब , जिएजॉर्ब आदि ब्रैंड नेम से मिलता है। रोजाना साफ अंडरगारमेंट और जुराबें पहनें। डियो इस्तेमाल करें। इसके अलावा दिन में दो बार फिटकरी को हल्का गीला कर बॉडी फोल्ड्स पर लगा लें। इससे पसीना आना कम हो जाता है। एंटी-प्रॉस्पेरेंट लोशन या पाउडर लगा सकते हैं। इसका जेनरिक नाम एल्युमिनियम हाइड्रोक्साइड है। इससे पसीना कम आएगा और बैक्टीरिया भी कम पनपेंगे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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