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मोबाइल में दिख जाएगा आपका आधार कार्ड

नई दिल्ली। अब आधार कार्ड को हमेशा अपने पास रखने की जरूरत नहीं होगी। सरकार ने एमआधार एप को अपडेट कर दिया है। रजिस्टर्ड मोबाइल पर एप पर समय आधारित ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) जोड़ दिया गया है। इसके जरिये आधार को अपने फोन पर रखा जा सकेगा।

सरकार लगभग हर जगह आधार को अनिवार्य बनाती जा रही है। आधार कार्ड अपने पास हमेशा रखना जरूरी हो गया है, लेकिन मोबाइल पर उपलब्ध होने के बाद आधार को हमेशा पास रखने की जरूरत नहीं रहेगी। एप के बेटा वर्जन में जनसांख्यिकीय डाटा उपलब्ध रहता है। इसमें आधार कार्ड में जो जानकारी होती हैं, वो मोबाइल पर दिख जाती हैं।

अब ओटीपी के डाउनलोड होने का इंतजार नहीं करना होगा। ये मोबाइल पर हमेशा उपलब्ध रहेगी। मीडिया रिपोर्ट में यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडेय का कहना है कि सेल्फ सर्विस अपडेट पोर्टल में टीओटीपी को जोड़ा गया है। रेलवे ने भी आठ सितंबर से एम आधार को वैध पहचान पत्र माना है। पांडेय का कहना है कि अभी एमआधार एप एंड्राइड फोन पर उपलब्ध है। ओटीपी को लेकर जो समस्याएं हो रही थीं, वो अब नहीं होंगी। लोगों को एसएमएस के लिए मोबाइल नेटवर्क पर निर्भर भी नहीं रहना होगा।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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