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कोविड-19ः सैंपलों की जांच के लिए एम्स को चाहिए माइक्रोबायलॉजी के डॉक्टर

ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि कोविड-19 वायरस से उत्पन्न परिस्थितियों से निपटने के लिए एम्स ऋषिकेश में वेंटीलेटर्स की संख्या 65 से बढ़ाकर लगभग 200 करने का निर्णय किया गया है।

उन्होंने कहा कि एम्स संस्थान पूर्ण रूप से सरकार एवं जनता के लिए समर्पित है। एम्स को इस विस्तारीकरण के लिए कई एनेस्थीसिया के चिकित्सकों की आवश्यकता होगी। हम एम्स में कोरोना वायरस की टेस्टिंग की संख्या बढ़ाने के लिए भी कटिबद्ध हैं। वर्तमान में प्रतिदिन कोरोना आशंकित मरीजों के 30 नमूने सैंपल की सुविधा है। इसे जल्द ही न्यूनतम 100 नमूने करना है। इसके लिए एम्स ऋषिकेश को माइक्रो बायोलॉजी के चिकित्सकों की आवश्यकता है।

उन्होंने बताया कि एम्स हरसंभव प्रयास कर रहा है कि इन विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति जल्द से जल्द की जाए। कुछ संविदा सीनियर रेजिडेंट्स चिकित्सकों का अन्य विभागों (पैथोलॉजी आदि) में कार्यकाल समाप्त हो रहा है, लिहाजा प्रयास यह है कि इन सीटों पर एनेस्थीसिया व माइक्रो बायोलॉजी के चिकित्सकों को नियुक्त किया जाए, जिससे संस्थान की ओर से जनता की बेहतर सेवा का योगदान सुनिश्चित किया जाए।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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