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अमरोहाः उत्पीड़न के खिलाफ शिक्षकों का धरना

अमरोहा (डॉ. दीपक अग्रवाल)। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय नेतृत्व के आह्वान पर बीएसए कार्यालय पर जिला इकाई ने शिक्षकों की मांगों को लेकर धरना दिया। शिक्षक नेताओं ने कहा कि शिक्षकों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं होगा।

बुधवार को धरने के दूसरे दिन संघ के मंडलीय महामंत्री और अमरोहा के जिलाध्यक्ष यशपाल सिंह ने कहा कि शासन शिक्षकों की मांगों की लगातार अनदेखी कर रहा है। शिक्षकों को वेतनमान 17140 और 18150, कैशलेस चिकित्सा, विद्यालय में चतुर्थ कर्मचारी की नियुक्ति, मृतक आश्रितों को शिक्षक बनाना आदि मांगें लंबित हैं।

संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. पृथ्वी सिंह ने कहा शिक्षकों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शिक्षकों के आंदोलन को और तेज किया जाएगा। उन्होंने सभी शिक्षकों से एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षकों की सभी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करे।

जिला महामंत्री मुकेश चौधरी ने कहा कि स्कूलों का निरीक्षण नकारात्मक दृष्टिकोण को लेकर नहीं किया नहीं किया जाना चाहिए। सकारात्मक दृष्टिकोण लेकर शिक्षकों को उत्साहित किया जाना चाहिए। शिक्षक छात्रों के हितों के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और पूरे मनोयोग से पढ़ाई करा रहे हैं।

उन्होंने शिक्षकों की मांगों पर सकारात्मक तरीके से ध्यान देने की अपील की। शिक्षकों ने कहा कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। धरने को धर्मपाल सिंह, संजीव कुमार, विपिन चौहान, कुलदीप त्यागी, रणधीर सिंह, वरन सिंह, आकिल रजा आदि शिक्षक नेताओं ने भी संबोधित किया। बाद में मौके पर पहुंचे अमरोहा के उप जिलाधिकारी  यशवर्धन श्रीवास्तव को 16 सूत्रीय मांग पत्र दिया गया।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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