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धमनियों के रोग से बचने के लिए करें फल व सब्जियों का सेवन

लंदन


शरीर में धमनियों एवं शिराओं के द्वारा रव्त का संचार होता है। इनके रोगग्रस्त होने से कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ताजा शोध में बताया गया है कि प्रतिदिन अपने आहार में फलों और सब्जियों की मात्रा बढ़ाने से पैरों में रव्त प्रवाह को प्रभावित करने वाली धमनियों के रोगों के विकास का खतरा कम हो सकता है। पेरीफरल आर्टरी (पार्श्व धमनी) की बीमारी यानी पीएडी पैरों की धमनियों को संकुचित करती है, मांसपेशियों में रव्त प्रवाह को सीमित कर देती है और इससे चलने या खड़े रहने के दौरान तेज दर्द होता है। शोध से पता चला है कि जो लोग दिन में तीन या इससे अधिक बार फलों व सब्जियों का सेवन करते हैं, उन्हें फलों व सब्जियों का कम सेवन करने वाले लोगों की तुलना में 18 प्रतिशत कम पीएडी होने का खतरा होता है। न्यूयॉर्प स्थित न्यूयॉर्प यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के सहायक प्राध्यापाक जेफरी बर्गर ने कहा कि `हमारे अध्ययन से यह जानकारी मिली है कि आहार में अधिक फलों और सब्जियों को शामिल करने जैसे सरल तरीकों से पीएडी के विकार से बचने में बड़ी मदद मिल सकती है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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