Uttarakhand

महिला पर्वतारोहियों का दल भागीरथी पीक के लिए रवाना

देहरादून। तीन सदस्यीय महिला पर्वतारोहियों का दल भागीरथी 2 पीक के लिए रवाना हो गया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को अपने आवास पर आयोजित कार्यक्रम में दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दल का नेतृत्व देहरादून की पर्वतारोही माधवी शर्मा कर रही हैं। 

हरियाणा की सविता मलिक और छत्तीसगढ़ की नैना धक्कड़ इस दल की सदस्य हैं। मुख्यमंत्री ने पर्वतारोही दल को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इससे बालिकाओं को साहसिक और कठिन कार्यों को करने की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि आज जब हम हिमालय की चिंता कर रहे हैं, हिमालय की पारिस्थितिकी की चिंता कर रहे हैं, ऐसे में बालिकाओं के इस साहसिक अभियान से लोगों को हिमालय से जुड़ने में मदद मिलेगी।

उन्होंने विशेष रूप से इस बात की प्रशंसा की कि यह पर्वतारोही दल वापस लौटते समय अपने साथ हिमालय क्षेत्र में अन्य ट्रैकर्स के छोड़े गए कूड़े कचरे को भी अपने साथ वापस ले आएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय की पारिस्थितिकी को स्वस्थ रखने के लिए उसका प्रदूषण मुक्त होना बेहद जरूरी है। उत्तराखंड में एडवेंचर टूरिज्म के लिए भी ऐसे अभियानों का बहुत महत्व है।

उन्होंने पर्वतारोही दल में शामिल सदस्यों के परिजनों को भी बधाई दी। टीम लीडर माधुरी शर्मा ने बताया कि टीम उत्तरकाशी में गौमुख से अपना अभियान शुरू करेगी और भागीरथी 2 चोटी पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ 18 सितंबर तक देहरादून लौट आएगी। उन्होंने बताया कि टीम के सभी सदस्यों ने एनआईएम उत्तरकाशी से अपनी ट्रेनिंग प्राप्त की है।

उन्होंने बताया कि इस अभियान का एक मकसद यह भी है कि यह लड़कियों को उनकी प्रतिभा, विश्वास और आत्म बल के प्रति प्रेरित कर सके। इसके साथ-साथ ही वह दुनिया को यह भी दिखाना चाहती हैं कि उत्तराखंड में एडवेंचर टूरिज्म के लिए बहुत स्कोप है। उन्होंने कहा कि वह स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत अपना योगदान देते हुए, लौटते समय अपने साथ वहां अन्य ट्रैकर्स और पर्वतारोहियों द्वारा छोड़े गए कचरे को भी वापस ले आएंगे। मुख्यमंत्री ने पर्वतारोही दल के सदस्यों को स्मृति चिन्ह के रूप में श्री केदारनाथ जी की अनुकृति भेंट करते हुए उनके सफल अभियान की कामना की।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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