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मोदी और शिंजो ने रखी बुलेट ट्रेन की नींव

अहमदाबाद। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने गुरुवार को भारत की पहली बुलेट ट्रेन की नींव रखी, जिसकी लागत 1.10 लाख करोड़ है। इसमें 88 हजार करोड़ का कर्ज जापान देगा। इसका ब्याज 0.1 फीसदी होगा, जिसे 50 साल में चुकाना होगा। यह ट्रेन मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलेगी।

यह प्रोजेक्ट 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है। एक अनुमान के अनुसार 500 किमी का ये सफर बुलेट ट्रेन से सिर्फ 2 घंटे में पूरा हो सकेगा। जापान ने प्रधानमंत्री मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए लोन देने का फैसला किया है। गुजरात के गांधीनगर में भारत और जापान की 12वीं वार्षिक समिट भी आयोजित की है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कोई भी देश आधे-अधूरे संकल्पों के साथ कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता। बरसों पुराने सपने को पूरा करने की ओर भारत ने अहम कदम बढ़ाया है। जब भी कोई चीज खरीदने जाते हैं तो हम गुजराती एक-एक पैसे का हिसाब लगाते हैं। कोई बाइक भी लेने जाते हैं तो बैंक से लोन लेते हैं तो ब्याज से लेकर लोन की अवधि तक सब कुछ बारीकी से देखते हैं।

कोई आधा पर्सेंट ब्याज भी खत्म कर दे तो बहुत खुश होते हैं, लेकिन कल्पना कीजिए किसी को ऐसा दोस्त मिल सकता है क्या जैसा भारत को जापान और शिंजो आबे के रूप में मिला। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई यह कहे कि बिना ब्याज के लोन ले लो, अभी जल्दी नहीं है। 50 साल में चुकाना, तो सोचो कैसा लगा होगा।

शिंजो आबे ने बुलेट ट्रेन के लिए 88 हजार करोड़ रुपये 0.1 प्रतिशत ब्याज दर से देने का फैसला किया है। मानव सभ्यता का विकास ट्रांसपोर्टेशन के साथ हुआ है। विकास अब वहीं होगा जहां हाई स्पीड कॉरिडोर होंगे। ट्रांसपोर्ट सिस्टम देश में कनेक्टिविटी का आधार बनाते हैं। इसका लाभ कई तरह से मिलता है।

मोदी विपक्ष पर निशाना साधने से भी नहीं चूके। उन्होंने कहा कि पहले कहते थे मोदी वादा करते थे अब बुलेट ट्रेन कब लाएंगे? अब ले आया हूं तो क्या रहे हैं, क्यों लाए। तो वह समझें कि इससे देश को नई रफ्तार मिलेगी।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मैं भारत में विशेषकर गुजरात की धरती पर एक बार फिर बहुत बहुत हृदय से शिंजो आबे का स्वागत करता हूं।

सपनों का विस्तार किसी भी देश समाज व्यक्ति की उड़ान तय करने का सामर्थ्य तय करता है।इस अवसर पर जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने कहा, आज का दिन एक ऐतिहासिक है। जापान-भारत संबंधों की नई शुरुआत हो रही है।उन्होंने कहा कि मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है।

ठीक 10 साल पहले मुझे भारत की संसद में भाषण देने का मौक़ा मिला था। जापान भारत के संबंध दुनिया में सबसे ज्यादा संभावनाओं से भरे हैं। ताकतवर भारत जापान और ताकतवर जापान भारत के हित में हैं। आबे ने नमस्कार के साथ अपना भाषण बोलना शुरू करते हुए भारत की जमकर तारीफ की।

उन्होंने कहा, ‘यह दोनों देशों के बीच दोस्ती की नई शुरुआत है। जापान के 100 से ज्यादा अधिक इंजीनियर भारत आ चुके हैं। रात-दिन एक करके चर्चा कर रहे हैं। दोनों देशों के इंजीनियर अगर मिलकर मेहनत करें तो कोई काम ऐसा नहीं जो संभव नहीं हों।’

आबे ने संबोधन का समापन धन्यवाद से किया। उन्होंने आगे कहा कि मुझे याद है 1964 में जापान की तेजी से प्रगति शुरू हुई थी। जापान विश्व युद्ध के बाद जले खेत की तरह हो गया था। इंजीनियर वर्कर सबकी मेहनत से हाई स्पीड सेवा जापान में शुरू हुई थी। इससे बड़ा बदलाव आया बड़े शहर एक दिन की यात्रा दूरी पर हो गए। जापान ने दस प्रतिशत विकास दर पाई और जापान ने विश्व के अहम देशों में प्रवेश किया।

उन्होंने कहा, मोदी वैश्विक और दूरदर्शी नेता हैं। उन्होंने नए इंडिया और बुलेट ट्रेन का सपना देखा। मैंने इस सपने को समर्थन देने की प्रतिज्ञा ली है। जापान इंजीनियर की शिल्प क्षमता और और भारत के इंजीनियर्स की क्षमता से ऐसा कोई काम नहीं जो संभव नहीं है।

जापान मेक इन इंडिया के लिए प्रतिबद्ध है, अगर जापान की तकनीक और भारत की उच्च मानव क्षमता एक हो तो भारत विश्व का कारखाना बन सकता है। आबे ने भारत और जापान की दोस्ती को मिसाल बताते हुए एक नया नारा भी गढ़ दिया। उन्होंने कहा, ‘जापान का ‘ज’ और इंडिया का ‘आई’ मिलकर जय यानी विजय बन जाते हैं। जय जापान, जय इंडिया को साकार करने के लिए दोनों देश मिलकर काम करेंगे।

जापानी पीएम ने पीएम मोदी को एक दूरदर्शी शख्स बताया। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि जब अगली बार भारत की यात्रा पर आए तो मोदी के साथ अहमदाबाद से मुंबई की यात्रा करें। उन्होंने कहा, ‘मैं मोदी, गुजरात और भारत को पसंद करता हूं। भारत के लिए जो कुछ भी करना होगा उसे मैं करूंगा।’

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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