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एम्स ऋषिकेश में है सर्विक्स कैंसर जांच की सुविधा

ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में मासिक जनजागरूकता अभियान के तहत महिला रोगियों और उनके तीमारदारों को सर्विक्स कैंसर के प्रति जागरूक किया गया। संस्थान के स्त्री रोग विभाग में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि कम उम्र में विवाह और शारीरिक संबंध की स्थिति में सर्विक्स कैंसर की आशंका अधिक रहती है। एक से अधिक पुरुषों से संबंध पर भी सर्विक्स कैंसर होने की आशंका रहती है।

निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि 20 वर्ष से कम उम्र में पहले बच्चे को जन्म देने वाली महिलाएं भी इस रोग से ग्रसित हो सकती हैं। जननांगों की सफाई के अभाव में एचपीबी वायरस के इन्फेक्शन की आशंका बढ़ जाती है। एचपीबी वायरस इन्फेक्शन से ही सर्विक्स कैंसर होता है। धूम्रपान करने वाली महिलाओं को सर्विक्स कैंसर से ग्रसित होने की आशंका ज्यादा रहती है। महिलाओं में यह कैंसर आमतौर पर 40 से 45 वर्ष की उम्र के आसपास होता है। कुछ मामलों में युवावस्था में यह बीमारी हो सकती है।

स्त्री रोग विभाग की डा.शशि प्रतीक ने बताया कि इस बीमारी का पता सामान्य तौर पर पैप इस्मीयर टेस्ट के जरिए लगाया जा सकता है। पैप इस्मीयर टेस्ट की सुविधा एम्स ऋषिकेश में उपलब्ध है। सुरक्षा के मद्देनजर प्रत्येक महिला को तीन वर्ष के अंतराल में इस टेस्ट को जरूर कराना चाहिए। रेडिएशन आॉंकोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. मनोज गुप्ता ने बताया कि जागरूकता अभियान के तहत शनिवार को संस्थान में कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद 16 जनवरी से सरस्वती शिशु विद्या मंदिर इंटर कॉलेज आवास विकास कालोनी से मुहिम शुरू की जाएगी। विभिन्न विद्यालयों को जागरूक किया जाएगा। इस अवसर पर डा.अनुपमा बहादुर,डा.राजलक्ष्मी आदि उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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