FeaturedSHORT STORY FOR KIDSShort story- Moral Values

जादू का बर्तन

बहुत समय पहले किसी गांव में लगने वाले बाजार में एक बूढ़ी महिला चिकन सूप बेचती थीं। उनका बनाया चिकन सूप काफी प्रसिद्ध था। आसपास के गांवों से भी लोग सूप पीने उनकी दुकान पर आते थे। बूढ़ी महिला का नाम कोई नहीं जानता था। कोई नहीं जानता था कि उनका घर कहां पर है। न ही किसी ने यह पूछा कि उनका बनाया सूप इतना लजीज कैसे है। लोग तो केवल सूप खरीदते और पीकर वापस लौट जाते थे।

वह एक बड़े बर्तन में सूप लेकर आती और एक पेड़ के नीचे अपनी दुकान सजा लेतीं। सूप हमेशा गर्म रहता। वैसे भी उनको सूप बेचने में ज्यादा समय नहीं लगता था। कुछ ही देर में बर्तन खाली हो जाता और बूढ़ी महिला वापस लौट जाती। इसी गांव में एक छोटा लड़का रहता था, जिसको चिकन सूप काफी पसंद था। वह रोजाना बूढ़ी महिला से सूप खरीदता। वह लड़का जानना चाहता था कि बूढ़ी महिला कहां से आती हैं। एक दिन उसने तय कर लिया कि वह पीछा करके देखेगा कि यह बूढ़ी महिला कहां रहती हैं और इतना शानदार सूप कैसे बनाती हैं।

एक दिन बूढ़ी महिला सूप बेचने के बाद घर लौट रही थीं। उन्होंने सिर पर खाली बर्तन रखा था। लड़के ने छिपकर उनका पीछा करना शुरू कर दिया। बूढ़ी महिला लंबा रास्ता तय करके अपने घर जा रही थीं। लड़का उनके पीछे चल रहा था। उसने देखा कि बूढ़ी महिला ऊंची हिल पर बनी झोपड़ी में रहती हैं।

तभी लड़के ने देखा कि बूढ़ी महिला झोपड़ी में से एक बड़ा सा बर्तन लेकर बाहर आईं। उन्होंने बर्तन को बाहर रखा और फिर झोपड़ी में चली गईं। मौका पाकर लड़के ने बर्तन में झांककर देखा। बर्तन खाली था। बूढ़ी महिला फिर झोपड़ी से बाहर आईं। उनको देखकर लड़का पास ही कहीं छिपकर पूरा नजारा देखता रहा। उसने देखा कि बूढ़ी महिला ने बड़े बर्तन को हिलाया और गाना गाने लगीं।

वह गा रही थीं- जादू वाले बर्तन। जादू वाले बर्तन।।
मेरे लिए सूप बना दो। मेरे लिए गर्मा गर्म सूप बना दो।।
मेरे लिए चिकन सूप बना दो। मुझे चिकन सूप बेचना है।।
मुझे चिकन सूप बेचना है। लोगों को पिलाने के लिए।।
मेरी बात सुनो- जादू वाले बर्तन। मेरी बात सुनो- जादू वाले बर्तन।।
लोग मुझसे चिकन सूप खरीदेंगे। क्योंकि यह सूप बड़ा लजीज है।।

लड़के ने देखा कि थोड़ी ही देर में बर्तन में से भाप निकलने लगी। उस तक भी सूप की खुश्बू पहुंच गई। इस खुश्बू ने लड़के की भूख बढ़ा दी, क्योंकि उसे यह चिकन सूप बहुत पसंद था। जैसे ही बूढ़ी महिला वापस झोपड़ी में गई, लड़का तेजी से सूप से भरे बर्तन तक पहुंचा। उसने देखा कि बर्तन के नीचे कोई आग नहीं थी, लेकिन बर्तन गर्मागर्म सूप से भरा था।

लड़के ने सूप में से चिकन का एक टुकड़ा निकालने के लिए जैसे ही बर्तन में हाथ डाला, अचानक बूढ़ी महिला झोपड़ी से बाहर आ गई। उन्होंने लड़के को बर्तन में हाथ डालते हुए देख लिया। बूढ़ी महिला ने शोर मचा दिया- “ओह ओह ओह!” वह रोने लगीं-“ओह ओह ओह!” लड़के ने शोर सुना तो वह भागने लगा। वह जितना जल्दी हो सके पहाड़ से उतरकर अपने घर जाना चाहता था। बूढ़ी महिला उसके पीछे दौड़ने लगी, लेकिन उसको पकड़ नहीं सकीं। लड़का किसी तरह अपने घर पहुंच गया। उसने अपने माता-पिता को पूरी घटना की जानकारी दी। उसने बताया कि बाजार में बिकने वाला चिकन सूप जादू वाले बर्तन में बनाया जाता है।

उसके माता पिता ने कहा, लगता है तुम सही कह रहो हो। उस हिल पर से भाप उड़ती देखी है हमने। शायद यह भाप, उसी मैजिक पॉट की हो, जिसमें बूढ़ी महिला सूप बनाती है। लड़का अगले दिन बाजार में सूप पीने गया, लेकिन बूढ़ी महिला दिखाई नहीं दी। बूढ़ी महिला ने उस दिन से बाजार आना बंद कर दिया था। लोग उनको देखने के लिए हिल पर भी नहीं गए, क्योंकि वो घबरा गए थे। इसके बाद से लोग जब भी पहाड़ पर बादलों को देखते,तो कहते हैं कि देखो जादू के बर्तन से भाप उड़ रही है। (अनुवादित)

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button