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राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी को मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उच्‍चतर शिक्षा संस्‍थाओं के लिए प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने के लिए राष्‍ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की स्‍थापना को मंजूरी दी है। एनटीए शुरू में उन प्रवेश परीक्षाओं को संचालित करेगी, जो इस समय सीबीएसई से संचालित हो रही हैं। अन्‍य परीक्षाएं धीरे-धीरे तब शुरू की जाएंगी, जब एनटीए पूरी तरह तैयार हो जाएगी। यह वर्ष में कम से कम दो बार ऑनलाइन पद्धति में परीक्षाएं संचालित करेगी। ग्रामीण छात्रों के लिए उप जिला, जिला स्‍तर पर केंद्र स्‍थापित करेगी।

एनटीए की अध्‍यक्षता प्रख्‍यात शिक्षाविद् करेंगे, जिनकी नियुक्ति मानव संसाधन विकास मंत्रालय करेगा। सीईओ, महानिदेशक की नियुक्‍ति सरकार करेगी। एनटीए को पहले वर्ष में भारत सरकार 25 करोड़ रुपए का एकबारगी अनुदान देगी। इसके बाद एनटीए अपने संचालन के लिए आत्‍मनिर्भर होगी। एनटीए की स्‍थापना से विभिन्‍न प्रवेश परीक्षाओं में भाग ले रहे लगभग 40 लाख छात्रों को लाभ होगा। इसकी स्‍थापना से सीबीएसई, एआईसीटीई तथा अन्‍य एजेंसियां इन प्रवेश परीक्षाओं को आयोजित करने की जिम्‍मेदारी से मुक्‍त हो जाएंगी।

नॉर्डिक-बाल्टिक दूतावास नॉर्डिक-बाल्टिक यूथ फिल्म फेस्टिवल की मेजबानी करेगा, जो 13 से 18 नवंबर, 2017 को नई दिल्ली में भारत आवास केंद्र के सहयोग से आयोजित होगा। नॉर्डिक-बाल्टिक (एनबी 8) देश डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, आइसलैंड, लाटविया, लिथुआनिया, नॉर्वे और स्वीडन एक दूसरे से  भौगोलिक और ऐतिहासिक तथा व्यापार, संस्कृति के माध्यम से जुड़े हैं।

10 नवंबर, 2017 को दिल्ली स्थित सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह “रूसी फिल्म डेज़” का तीसरा संस्करण शुरू हुआ, जिसमें राजकपूर को विशेष श्रद्धांजलि दी गई। यह सिनेमा-सांस्कृतिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से भारत-रूसी संबंधों को मजबूत करने की एक पहल है। यह तीन प्रमुख शहरों – दिल्ली, मुंबई और पणजी (गोवा) में आयोजित किया जाएगा। 20 नवंबर को यह पणजी, गोवा में भारत के 48 वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह (आईएफएफआई) पर समाप्त होगा।

उदयपुर वन्यजीव अभ्यारण्य (यूडब्ल्यूएस) बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित है। 8.74 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला अभ्यारण्य पानी में रहने वाले पक्षियों का प्रवास है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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