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ब्लू व्हेलः साइबर क्रिमिनल सोशल मीडिया पर तलाश रहे सॉफ्ट टारगेट

देहरादून। क्या आपका बच्चा अपना काफी समय़ सोशल मीडिया पर बिताता है। क्या वो स्कूल औऱ परिवार में खुद को सबसे अलग महसूस करता है। कहीं ऐसा तो नहीं बच्चे पर पढ़ाई के लिए अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है और बात-बात पर उसको स्कूल से लेकर घर तक डांट पड़ती है।

क्या वह हीनभावना से ग्रस्त तो नहीं है। क्या वह रातभर इंटरनेट पर चेटिंग तो नहीं कर रहा है। क्या वह नेट पर वीडियो गेम और तमाम एप्लीकेशन पर व्यस्त रहता है। क्या वह दोस्तों के पास से देररात तक घर पहुंच रहा है। ये कुछ सवाल हैं जो आपको अपने बच्चे के बारे में समझने में मदद कर सकते हैं।

साथ ही यह हिदायत भी देते हैं कि आपको अपने बच्चे के लिए सब कुछ भूलकर समय निकालना होगा। अगर जरूरत पड़ती है तो पैरेंटल कंट्रोल औऱ साइबर लिटरेसी की ट्रेनिंग लीजिए। वहीं दून पुलिस ने भी सोशल मीडिया पर ब्लू व्हेल जैसे बेहूदा गेम के दुष्प्रभावों की जानकारी देते हुए सतर्कता बरतने और पैरेंट्स से अपनी जिम्मेदारी निभाने को कहा है।

सीनियर साइबर और फोरेंसिक एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत ने पैरेंट्स को बच्चों की साइबर एक्टीविटी पर नजर रखने तथा उनके लिए समय निकालने की सलाह दी है। चंद्रकांत ने बताया कि साइबर अपराधियों के ग्रुप ब्लू व्हेल जैसे बेहूदा खेल के जरिये बच्चों और युवाओं को अपने नियंत्रण में ले रहे हैं। हाल ही में हिमाचल प्रदेश में भी ऐसा मामला सामने आया है, जिस पर समय रहते अभिभावक सतर्क हो गए।

अंकुर चंद्रकांत, सीनियर साइबर एवं फोरेंसिक एक्सपर्ट

चंद्रकांत बताते हैं कि साइबर अपराधी आन लाइन ब्लू व्हेल गेम के लिए सोशल मीडिया पर अपना टारगेट तलाशते हैं। ये युवाओं और बच्चों की एक्टीविटी को वॉच करते हैं। मसलन- वो किस तरह के कमेंट कर रहे है, किस तरह के फोटोग्राफ और कमेंट को लाइक कर रहे हैं या किस तरह के फोटो व वीडियो पोस्ट कर रहे हैं।

इन एक्टीविटी से युवाओं व बच्चों की साइकोलॉजी को समझ जाते हैं। अगर कोई लगातार फ्रेंड्स रिक्वेस्ट कर रहा है, उसकी फ्रेंड लिस्ट में कम लोग हैं। इस तरह के साइबर अपराधी दरअसल विकृत मानसिकता वाले होते हैं। अपने जाल में फंसे युवाओं और बच्चों को ये साइबर अपराधी हैंडलर कुछ लेवल पार करने का चैलेंज देते हैं।

पीड़ित बच्चे और युवा इनकी बातों से इतने आकर्षित हो जाते हैं कि वो इनकी हर बात मानने लगते हैं। सीनियर साइबर एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत बताते हैं कि ये हैंडलर अपने जाल में फंसे युवाओं और बच्चों को यह तक चैलेंज दे देते हैं कि किसी पेपर पर व्हेल बनाओ और फिर इसको अपने हाथ पर रखकर ब्लेड चलाओ। इस पूरे कृत्य का वीडियो मेल पर मांगते हैं।

इंटरनेट से मिली फाइल इमेज

पीड़ित इनके कहे अनुसार अपने शरीर को नुकसान पहुंचा देते हैं। ये कुछ सवालों के जरिये भी पीड़ितों के मनोविज्ञान को समझ जाते हैं और उसी के अनुसार पीड़ितों को कष्ट पहुंचाते हैं। खासकर नशे की गिरफ्त में फंसे युवाओं को ये आसानी से टारगेट बना लेते हैं और वो इनके लेवल पार करने के लिए कुछ भी कर गुजरने से नहीं चूकते।

हैंडलर लीडर बोर्ड पर इन पीड़ितों के बीच एक दूसरे से आगे निकलने को होड़ लगवाते हैं। अंतिम स्टेज तक पहुंचने वाले पीड़ितों पर इनका पूरा नियंत्रण हो जाता है और वो इनके चैलेंज को पूरा करने के लिए आत्मघाती होने से भी नहीं घबराते।

चंद्रकांत का कहना है कि इन साइबर अपराधियों या ब्लू व्हेल जैसे कृत्यों से घबराने की नहीं बल्कि सतर्क होने की जरूरत है। इसके लिए बच्चों को आभासी दुनिया से बाहर निकलने और अपने साथ वास्तविक दुनिया में लाने की जरूरत है। हर पैरेंट्स अपने बच्चों को समय दें और उनकी खुशियों और समस्याओं को साझा करें।

दून पुलिस ने सोशल मीडिया पर अपील जारी की है। दून पुलिस ने कहा है कि ब्लू व्हेल कोई एप्लीकेशन या गेम नहीं है जिसे आप गूगल प्ले या फिर किसी और साइट से डाउनलोड कर सकते हैं, ये सिर्फ सोशल व अन्य मीडिया द्वारा अकेलेपन अथवा हीनभावना से ग्रस्त किशोर व किशोरियों को कुछ बीमार मानसिकता वाले व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल करने का तरीका है!

ये खेल विकृत मानसिकता वाले व्यक्ति अकेले या फिर समूह बनाकर सीधे साधे व अकेलेपन के शिकार किशोर व किशोरियों का विश्वास जीत पहले अपने जाल में फंसाते हैं! फिर धीरे धीरे उनको अपनी मोहक बातों से इतना मोहित करते हैं कि पीड़ित किशोर अथवा किशोरी उनसे अपनी सारी समस्याएं साझा करने लगते हैं! वे किशोर अथवा किशोरी को इतना मोहित कर देते हैं की वे उनके लिए कुछ भी करने को तत्पर हो जाते हैं।

 उनके इस स्थिति में आने के पश्चात वो व्यक्ति अथवा हैंडलर उनसे दूर जाने की धमकी देता/देती है, जिससे पीड़ित किशोर अथवा किशोरी उनके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं, इसके पश्चात वे हैंडलर उनको 50 दिन के भीतर भिन्न भिन्न कार्य करने की चुनौती देता है , जिसे पीड़ित एक के बाद एक करके पूर्ण इसलिए करता जाता है जिससे वे उस व्यक्ति का विश्वासपात्र बना रहे! सबसे अंतिम चुनौती में वे व्यक्ति पीड़ित को आत्महत्या करने को कहता है !

कुछ पीड़ित इस स्थिति तक आते आते अपने संचालनकर्ता अथवा हैंडलर से सम्मोहित हो आत्महत्या जैसा जघन्य कार्य कर डालते हैं ! अलग अलग देशों में इस खेल को विकृत मानसिकता वाले व्यक्तियों द्वारा भिन्न भिन्न रूप से खेला जा रहा है लेकिन इसका तरीका विश्व भर में समान है।

दोषी कौनः आत्महत्या एक जघन्य अपराध है परन्तु इसके पीछे के कारण हम जाने तो पाएंगे कि इसमें दोष उन अभिभावकों का है जो अपने बच्चों को समय नहीं देते व अत्यंत व्यस्त रहते हैं, जिसके चलते किशोर अपनी रुचि कहीं और तलाशने लगते हैं व अजनबियों के चंगुल में फँस इस्तेमाल किए जाते हैं!

अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने किशोर बच्चों की भावनाओं का आदर करें व उन्हे कभी अकेला महसूस न होने दें! बच्चों को सख्त हिदायत दें कि किसी भी अजनबी से सोशल व अन्य मीडिया पर संपर्क न बनाये व ना ही अपनी व्यक्तिगत भावनाएं साझा करें! – दून पुलिस द्वारा अभिभावकों के हित में जारी

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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