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ग्रीन जोन वाले पर्वतीय जिलों में सुबह सात से शाम छह बजे तक खुलेंगी दुकानें

  • दुकानों को भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार खोले जाने की अनुमति 
  • शराब और सैलून आदि जिन दुकानों को प्रतिबंधित किया है, बंद रखा जाएगा
  • मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में भारत सरकार की गाइड लाइन पर विचार विमर्श

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में बैठक में दुकानों को खोले जाने के संबंध में जारी भारत सरकार की गाइडलाइन पर विचार विमर्श किया गया। तय किया गया कि ग्रीन जोन वाले 9 पर्वतीय जिलों में भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार दुकानों को खोला जाएगा। यहां दुकानें सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक खुलेंगी। वहीं, शराब, सैलून आदि जिन दुकानों को प्रतिबंधित रखा गया है, उनको बंद रखा जाएगा।

चार जिलों देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंहनगर में वर्तमान स्थिति बरकरार रहेगी। इन जिलों में आवश्यक वस्तुओं की दुकानें पहले की तरह सुबह सात से दोपहर एक बजे तक ही खुलेंगी। इन चार जिलों में यदि किन्हीं क्षेत्रों में शिथिलता दी जानी है तो संबंधित जिलाधिकारी निर्णय लेंगे। इंटर स्टेट व इंटर डिस्ट्रिक्ट यातायात पर पहले की तरह ही रोक रहेगी।

मुख्यमंत्री ने निजी निर्माण कार्यों की अनुमति दिए जाने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन यह सुनिश्चित कर लें कि सोशल डिस्टेंसिंग को हर हाल में बनाए रखा जाए। लोग बिना काम के बाहर न निकलें। घर से बाहर निकलने पर मास्क का प्रयोग करें। मुख्यमंत्री ने छूट के दायरे में आने वाले नौ जिलों के लोगों से अपील की है कि जरूरी होने पर ही घर से निकले, अनावश्यक बाहर न जाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करें।

बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी, सचिव अमित नेगी, नितेश झा, शैलेश बगोली,  राधिका झा उपस्थित थे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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