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डुग डुगी नवंबर-2020

डुगडुगी के छठें अंक में पढ़िएगा-

प्लूटो का नाम तो सुना है-

क्या आपने प्लूटो का नाम सुना है। प्लूटो भी पृथ्वी की तरह सूर्य के चक्कर लगा रहा है। इसको पहले ग्रह कहा जाता है, अब इसको बौना ग्रह कहा जाता है। प्लूटो के साथ ऐसा क्यों हुआ, इस बारे में हम बाद में बात करेंगे, पहले हम आपको प्लूटो के संबंध में कुछ रोचक जानकारी देते हैं। 

क्या आपको मालूम है प्लूटो नाम कैसे आया है। 1930 में 11 साल की उम्र की वेनेटिया बर्नी ने 1930 में प्लूटो नाम का सुझाव दिया था। अच्छा तो अब हम आपको बताते हैं कि प्लूटो पृथ्वी से बहुत छोटा ग्रह है। इसकी चौड़ाई करीब 1400 मील यानी 2380 किलोमीटर चौड़ा है। यह अमेरिका की चौड़ाई का भी आधा है। जितना देहरादून से चैन्नई दूर है, उतनी प्लूटो की चौड़ाई है। पृथ्वी के चंद्रमा की चौड़ाई का भी दो तिहाई है प्लूटो। 

प्लूटो सूर्य से लगभग 3.6 बिलियन मील यानी 5.8 बिलियन किलोमीटर दूर है। पृथ्वी से सूर्य की जितनी दूरी है, प्लूटो उससे भी 40 गुना दूर कूपर बेल्ट नाम के क्षेत्र में है। अब इस दूरी को जानकर ही आप अंदाजा लगा लीजिए कि अंतरिक्ष कितना बड़ा है। भले ही प्लूटो सूर्य से 3.6 बिलियन मील दूरी पर हो, पर इसके पास पांच चंद्रमा हैं। 

एक तो प्लूटो सूर्य से बहुत दूर है और यह बहुत धीरे-धीरे उसकी परिक्रमा कर रहा है। यह तो हम सब जानते ही है कि पृथ्वी, जितने समय में सूर्य का एक चक्कर लगाती है, वह हमारा एक वर्ष यानी 365 दिन होता है। पर, प्लूटो सूर्य का एक चक्कर जितने समय में लगाता है, उतने में तो पृथ्वी पर 248 साल बीत जाएंगे।

पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य की परिक्रमा कर रही है। हमें तो यही जानकारी है कि पृथ्वी को अपनी धुरी पर एक बार घूमने में 24 घंटे का समय लगता है। इसी में दिन और रात होते हैं। अब हम प्लूटो की बात करें तो वो अपनी धुरी पर घूमने में 153 घंटे लगाता है। इस तरह प्लूटो का एक दिन हमारे छह दिन के बराबर होता है।

प्लूटो के वातावरण में नाइट्रोजन, मिथेन और कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस हैं। इसका आकाश भी नीला है।  प्लूटो  पर इंसान नहीं रह सकते, क्योंकि इसका तापमान माइनस 232 डिग्री सेल्सियस है। यहां बहुत बड़े ग्लेशियर हैं।

DUG DUGI NOVEMBER 2020

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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