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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने की वन विकास निगम के ई-ऑक्शन पोर्टल की शुरुआत

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखंड वन विकास निगम सॉफ्टवेयर के ई-ऑक्शन पोर्टल का शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ई-गवर्नेंस की दिशा में वन विकास निगम का यह एक अच्छा प्रयास है। वन उपजों एवं प्रकाष्ठ के लिए ई-ऑक्शन प्रक्रिया से वन विकास निगम के कार्यों में तेजी आएगी। प्रकाष्ठ एवं वन उपज खरीदने वालों को ई-ऑक्शन प्रक्रिया होने से अनावश्यक परेशानी भी नहीं होगी। ई-ऑक्शन की प्रक्रिया से वन विकास निगम के राजस्व में वृद्धि होगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि ई-गवर्नेंस की दिशा में राज्य सरकार का विशेष फोकस है, ऑनलाइन माध्यम से लोगों को हर सुविधा मिले, इस दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। ऑनलाइन प्रक्रिया से लोगों को अनावश्यक सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं और समय व धन दोनों की बचत होती है। कार्यों में तेजी और पारदर्शिता लाने एवं समय की बचत के लिए डिजिटल माध्यमों का अधिकतम उपयोग जरूरी है।
उत्तराखंड वन विकास निगम के अध्यक्ष सुरेश परिहार ने कहा कि उत्तराखंड वन विकास निगम वनों के संवर्द्धन, पर्यावरण संरक्षण, लोगों को उच्च गुणवत्तायुक्त प्रकाष्ठ, उपखनिज की उचित दरों पर आपूर्ति में योगदान कर रहा है। निगम अपने 30 प्रभागों के माध्यम से वन क्षेत्रों में वैज्ञानिक वन प्रबंधन के दृष्टिगत सूखे, उखड़े, गिरे वृक्षों से प्रकाष्ठ का उत्पादन, उपखनिज चुगान एवं प्रकाष्ठ के विक्रय की कार्यवाही कर रहा है।
उत्तराखंड वन निगम के प्रबंध निदेशक विनोद कुमार ने कहा कि इस डिजिटल पहल से वनोपज एवं प्रकाष्ठ के विक्रय में प्रगति आएगी। देशभर से क्रेता ई-ऑक्शन के माध्यम से घर बैठे ही प्रकाष्ठ खरीद कर सकते हैं। ई-ऑक्शन से प्रकाष्ठ की नीलामी की कार्यवाही में और अधिक तेजी आएगी। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से अब वनोपज एवं प्रकाष्ठ के विक्रय की कार्यवाही ई-ऑक्शन के माध्यम से की जाएंगी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार रविन्द्र दत्त, अपर प्रमुख वन संरक्षक डीजेके शर्मा, डा. शमीर सिन्हा, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, उत्तराखंड वन विकास निगम के अपर प्रबंध निदेशक केएम राव, महाप्रबंधक निशान्त वर्मा, क्षेत्रीय प्रबंधक आकाश वर्मा, इन्द्र सिंह नेगी, उमेश त्रिपाठी, चीफ प्रोजक्ट कोऑर्डिनेटर हिमांशु चन्द्रा, शोभित वर्मा आदि उपस्थित थे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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