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मानवभारती की पर्यावरण जागरूकता रैली शुरू

चंपावत


चंपावत जिले के बनबसा ने मानवभारती संस्था की पर्यावरण जागरूकता रैली शुरू हो गई। यह रैली पांच दिन तक उत्तराखंड में भ्रमण करके स्थानीय लोगों और यात्रियों को हिमालय के पर्यावरण की रक्षा के लिए जागरूक करेगी। इस दौरान कई स्थानों पर पौधे भी रोपे जाएंगे।

रैली फूलों की घाटी सहित गढ़वाल के चार जिलों से होती हुई नौ जून को बनबसा पहुंचेगी। मानवभारती संस्था लंबे समय से पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करती रही है। इस बार पर्यावरण दिवस पर युवाओं को बाइक रैली का आयोजन किया गया है। इसका उद्देश्य खासकर युवाओं को हिमालय के पर्यावरण के लिए संवेदनशील बनाना और उनमें प्रकृति के विविध रूपों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी का भाव पैदा करना है। रैली नौ जून तक 1178 किलोमीटर का सफर तय करेगी। रैली पांच जून सोमवार शाम 262 किलोमीटर का सफर तय करके गैरसैंण पहुंचेगी।

पर्यावरण जागरूकता रैली का कार्यक्रम 
पहला दिन (पांच जून)- पर्यावरण दिवस पर उत्तराखंड के चंपावत जिले में भारत नेपाल सीमा स्थित बनबसा से गैरसैंण 262 किलोमीटर।
दूसरा दिन (छह जून)-  गैरसैंण से फूलों की घाटी 175 किलोमीटर राइडिंग और 18 किमी. ट्रैकिंग।
तीसरा दिन ( सात जून)- फूलों की घाटी से ऋषिकेश 280 किलोमीटर।
चौथा दिन (आठ जून)- ऋषिकेश से नैनीडांडा 217 किलोमीटर।
पांचवा दिन ( नौ जून)- नैनीडांडा से बनबसा 226 किलोमीटर।

आइए कुछ समय अपने हिमालय को दें

हिमालय और इसके पर्यावरण ने हमें जीने का आधार दिया है। हम अपने पर्यावरण और इसके विविध रूपों की वजह से खुली हवा में सांस लेते हैं। आप कल्पना कीजिए कि अगर प्रकृति अपनी ये सौगात हमें नहीं देती तो क्या जीवन होता। इसलिए जरूरी है कि हम अपने पर्यावरण का सम्मान करें और प्रकृति के सभी रूपों नदियों, वनों, वायु, धरती को स्वच्छ बनाने में सहयोग दें। प्रदूषणमुक्त आबोहवा हम सभी का अधिकार है औऱ पर्यावरण को स्वच्छ रखना हमारा कर्तव्य भी। इसके लिए कुछ खास नहीं करना है। आपकी और हमारी छोटी सी पहल हम सभी को और आने वाली पीढ़ियों को साफ पर्यावरण और स्वस्थ जीवन दे सकती है। 
पर्वतीय इलाकों में यात्रा पर आएं हैं तो एक पौधा जरूर लगाएं। 
अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखें। सड़कों, खाई और नदियों में कूड़ा करकट न फेकें। 
कूड़ा कचरा निर्धारित स्थानों पर रखे डस्टबीन में ही डालें। 
प्लास्टिक की बोतलों और पॉलीथिन का इस्तेमाल न करें। 
जल को बर्बाद न होने दें और जल स्रोतों को संरक्षित करें। 
नदियों को प्रदूषित न करें। नदियों की स्वच्छता बनाए रखने के लिए लोगों को प्रेरित करें। 
वनों की सुरक्षा करें। ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाकर हरियाली को बढ़ावा दें। 
मेडिकल वेस्ट को खुले में न फेंके, बल्कि सुरक्षित तरीके से डिस्पोज करें। 
ईंधन बचाएं और प्रदूषण फैलाने वाले वाहन न चलाएं। 
 
उम्मीद है कि आप इस पहल से हिमालय और इसके शानदार पर्यावरण की सुरक्षा में अपना सहयोग देंगे। 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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