Uncategorized

बैडरूम की सेटिंग में न हों ये गलतियां

सा मान्यतः घरों में शयन कक्ष को व्यवस्थित करने के लिए सोच विचार नहीं किया जाता। बहुत सारे लोगों का मानना है कि कोई भी अतिथि, आगंतुक या बाहरी व्यक्ति  को सीधे बैडरूम में नहीं बैठाना चाहिए। लेकिन कुछ लोग शयनकक्ष को भी डायनिंग, ड्राइंग या किचन की तरह व्यस्थित नहीं करते। शयनकक्ष की सेटिंग और उसकी साफ सफाई भी बहुत आवश्यक है। यह सिर्फ दिखावेभर के लिए नहीं होनी चाहिए। वर्तमान में शयनकक्ष बहुउपयोगी बनाए जा रहे हैं। जैसे शयनकक्ष में ही स्टडी रूम, कंप्यूटर रूम, वर्क रूम, ड्रेसिंग रुम और यहां तक कि इसमें लांड्री रूम तक सेट किए जा रहे हैं। जिस वजह से शयनकक्ष सेटिंग में गलतियां हो जाती हैं। उनमें से कुछ गलतियां ये हैं।

  • जो लोग शयनकक्ष में बैड की जगह के बारे में गंभीरता से नहीं सोचते, वे अक्सर बैड को अलमारी या कोनों से चिपका के रख देते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि बैड को शयनकक्ष के मध्य भाग में रखा जाए।  क्योंकि अधिकतर बैड, जो अलमारियों से लगे रहते हैं, अक्सर हम उन पर धुले कपड़ों का ढेर लगा देते हैं, जिससे शयनकक्ष बहुत अव्यवस्थित दिखता है।
  • शयनकक्ष में अक्सर यह देखने में आता है कि हम ड्रेसिंग टेबल को बैड के पास रख देते हैं। जिससे ड्रेसिंग टेबल से निकाला गया सौंदर्य प्रसाधन जैसे- टेल्कम पाउडर, परफ्यूम, बाल, सौंदर्य प्रसाधनों के दाग धब्बे बैडशीट पर लग जाते हैं। वास्तु के अनुसार दर्पण आपके बैड की तरफ नहीं होना चाहिए। यानी सोकर उठते समय सीधे दर्पण नहीं दिखना चाहिए, इसलिए बैडरूम में दर्पण को अलग से कोने में व्यवस्थित करना चाहिए।
  • अधिकतर घरों में यह देखा गया है कि बिजली के स्विचबोर्ड शयनकक्ष के प्रवेशद्वार पर फिट किए जाते हैं, लेकिन जब आप अपने बैड पर आराम कर रहे होते हैं या लेटे होते हैं, तब आपको दरवाजे के पास जाकर स्विच अ़ॉफ या अॉन करना बहुत अखरता है। हो सकता है कि मध्य रात्रि में आपका मन कोई किताब पढ़ने का हो, तो एेसी स्थिति में अगर टेबल लैंप या बिजली की व्यवस्था आपके बैड के नजदीक हो तो बहुत सुविधाजनक होगा।
  • बैड़ रूम में बहुत सारी तेज रोशनी या चमकीली लाइटें लगाना एक बड़ी भूल है। तेज रोशनी आपकी नींद तो खराब करती है। साथ ही साथ आपकी आंखों को भी नुकसान पहुंचाती है। अगर आपके बैडरूम में स्टडी रूम भी है, तो वहां टेबल लैंप की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि अत्यधिक रोशनी से कोई नुकसान न हो।
  • अधिकतर लोग शयनकक्ष के फर्श को बनाते समय कई भूल कर जाते हैं, जैसे- मारबल और ग्रेनाइट का फर्श, जो सिर्फ गर्म इलाकों के लिए ठीक होता है और लकड़ी तथा विटरस टाइल्स ठंडे इलाकों के लिए ठीक होती हैं। इस प्रकार वातावरण के अनुसार फर्श निर्माण की बारीकियों का ध्यान रखा जाना चाहिए। जबकि मौसम और वातावरण के अनुसार शयनकक्ष का फर्श बनाना चाहिए। ठंडे फर्श से पांव में मोच आने का खतरा बना रहता है। अगर शयन कक्ष के फर्श में यह गलतियां हो ही गईं हैै तो इनको कारपेट मैट या फुट वार्मर पहनकर दूर किया जा सकता है।

ये पांच प्वाइंट ध्यान में रखकर बैड रूम को व्यवस्थित किया जाए तो घर में सुख समृद्धि के साथ साथ अच्छा स्वास्थ्य और वातावरण बना रहेगा।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button