Short story- Moral Values

खरगोश और लोमड़ी की दोस्ती

एक शाम एक खरगोश मस्त होकर टहल रहा था। वह हल्की हवा का आनंद लेते हुए प्रकृति का आभार जता रहा था। अचानक उसने एक लोमड़ी की अपनी तरफ आते देखा। खरगोश डर गया और भागने लगा, लेकिन लोमड़ी उसके पास आ गई और कहा, दोस्त मुझसे मत डरो। मैं तुम्हारी दोस्त बनना चाहती हूं। मैं आपको नुकसान नहीं पहुंचाऊंगी।”

लोमड़ी ने ऐसी मीठी बात की कि जल्द ही खरगोश उसके जाल में फंस गया। अब तो रोजाना वह लोमड़ी से मिलने लगा। दोनों गहरे दोस्त हो गए।

एक दिन लोमड़ी ने दोपहर के भोजन के लिए खरगोश को अपने घर पर आमंत्रित किया। खरगोश अपना सबसे शानदार सूट पहनकर तैयार हुआ और लोमड़ी के घर पर पहुंच गया।

लोमड़ी ने खरगोश का गर्मजोशी से स्वागत किया और फिर उसके सामने गाजर का रस पेश किया। खरगोश काफी खुश हो गया और रस पीने के बाद भी वह भूखा था।

उन्होंने लोमड़ी से पूछा, “दोस्त, क्या अभी तक लंच नहीं खाया है? लोमड़ी मुस्कुराई और कहा, “मेरा लंच तैयार है क्योंकि मैं दोपहर में कच्चा भोजन करती हूं।”

इतना कहते ही लोमड़ी ने छलांग लगाकर खरगोश को पकड़ा और लंच कर लिया। कहानी संदेश देती है- धूर्त लोगों से दूरी बनाकर रखो, वो तुम्हारे दोस्ते कभी नहीं हो सकते।

 

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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