पीना तो दूर नहाने लायक नहीं हरिद्वार में गंगा का पानी
- आरटीआई में हुआ खुलासा
देहरादून
हिन्दू धर्म में कहा जाता हैं कि गंगा में स्नान करने से भले आपके पाप ’धुल’ जाएं, लेकिन वर्तमान में गंगा नदी का पानी पीना तो दूर नहाने लायक नहीं है। हरिद्वार में गंगा का पानी आपको बीमार कर सकता है।केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि हरिद्वार में गंगा नदी का पानी नहाने के लिए भी ठीक नहीं है।
सीपीसीबी ने कहा कि हरिद्वार जिले में गंगा का पानी तकरीबन हर पैमाने पर असुरक्षित है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, हरिद्वार के 20 घाटों में रोजाना 50,000 से एक लाख श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते है। उत्तराखंड में गंगोत्री से लेकर हरिद्वार जिले तक 11स्थानों से पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए सैंपल लिए गए थे। ये 11 स्थानों पर 294 किलोमीटर के इलाके में फैली हैं।
बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिक आरएम भारद्वाज ने बताया, इतने लंबे दायरे में गंगा के पानी की गुणवत्ता जांच के 4 प्रमुख सूचक रहे, जिनमें तापमान, पानी में घुली ऑक्सीजन, बायलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड और कॉलिफॉर्म (बैक्टीरिया) शामिल हैं। हरिद्वार के पास के इलाकों के गंगा के पानी में बीओडी कॉलिफॉर्म और अन्य जहरीले तत्व पाए गए। सीपीसीबी के मानकों के मुताबिक, नहाने के एक लीटर पानी में बीओडी का स्तर 3 मिलीग्राम से कम होना चाहिए, जबकि यहां के पानी में यह स्तर 6.4प्रतिशत से ज्यादा पाया गया।
इसके अलावा, हर की पौड़ी के प्रमुख घाटों समेत कई जगहों के पानी में कॉलिफॉर्म भी काफी ज्यादा पाया गया। प्रति 100मिली पानी में कॉलिफॉर्म की मात्रा जहां 90 एमपीएन (मोस्ट प्रॉबेबल नंबर) होना चाहिए, वह 1,600 एमपीएन तक पाई गई। सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक नहाने के पानी में इसकी मात्रा प्रति 100एमजी में 500 एमपीएन या इससे कम होनी चाहिए। इतना ही नहीं, हरिद्वार के पानी में डीओ का स्तर भी 4 से 10.6 एमजी तक पाया गया, जबकि स्वीकार्य स्तर 5 एमजी का है। जानेमाने पर्यावरणविद् अनिल जोशी ने कहा,हरिद्वार इंडस्ट्रियल और टूरिस्ट हब बन गया है, ऐसे में जब तक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट इंस्टॉल नहीं किए जाते और पानी की गुणवत्ता पर सख्त निगरानी नहीं रखी जाती, घाटों का पानी प्रदूषित रहेगा।’ (एजेंसी)
https://newslive24x7.com/uttarakhand-government-against-maa-ganga/