FeaturedTK DHINAA DHIN

राजकीय प्राइमरी स्कूल बजेला के बच्चों ने तो कमाल कर दिया

शिक्षक दिवस पर अल्मोड़ा जिले में धौलादेवी ब्लाक के बजेला स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में बाल शोध मेला व स्वच्छता प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। बच्चों ने रेन वाटर हारवेस्टिंग, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, जैविक व अजैविक कूड़ा दान, कूड़ा निस्तारण के मॉडल की प्रदर्शनी लगाई। भीमल की रस्सी से बने कैरी बैग्स काफी पसंद किए गए।

स्कूल के सहायक अध्यापक भास्कर जोशी कहते हैं कि बाल शोध मेला इस बात की पुष्टि करता है कि ज्ञान केवल किताबों तक ही सीमित नहीं रहता है वह तो सर्वत्र है। जरूरत है उसे निरंतरता के साथ एक क्रम में समायोजित करने की।

बच्चे अपने परिवेश और आसपास की घटनाओं से निरन्तर कुछ न कुछ सीखते रहते हैं। वे कुछ अनुमान लगाते हैं,स्वयं से अनुभव करते हैं और बड़ों से संवाद करते हुए अपनी समझ को विकसित करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में उनके भीतर की जिज्ञासा, कौतूहल, आनन्‍द की अनुभूति व मन में उठ रहे प्रश्न उन्हें कुछ नया खोजने की ओर प्रेरित करते हैं। यही नई खोज नया ज्ञान है। अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें-  तक धिनाधिन

स्वच्छता ही सेवा है, कहते हुए बच्चे कई बार मुझसे संवाद करते हैं कि सर स्वच्छता से कैसे सेवा होगी, किसकी होगी। इसके साथ ही और भी बहुत सारे प्रश्न करते हैं बच्चे। इन्ही प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उन्हें मोटिवेट किया और बच्चे को कुछ न कुछ एसाइनमेंट व परियोजना कार्य दिया गया। यह एक लंबी प्रक्रिया थी, जो आज पूर्ण हो पाई ।

बच्चों ने न केवल स्वच्छता सामग्री की प्रदर्शनी लगाई। साथ ही विभिन्न मॉडलों के माध्यम से अपने क्षेत्र के लोगों को बताया कि हम कैसे कैसे स्वच्छता को सेवा का रूप दे सकते हैं और इसके क्या लाभ हैं।

प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण स्वच्छ भारत मॉडल रहा। रेन वाटर हारवेस्टिंग मॉडल, क्लीन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, जैविक व अजैविक कूड़ा दान, कूड़ा निस्तारण कैसे करें। प्लास्टिक से कैसे निजात पाएं। भीमल की रस्सी से बने कैरी बैग्स की अभिभावकों ने बहुत सराहना की।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button