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कुछ ये उपाय करने से आती है घर में खुशहाली  

सभी लोग अपने घर में धन संपदा और खुशहाली चाहते हैं। इसके लिए उन्हें प्रयास करने के साथ ही घर के वास्तु से जुड़ी बातों का भी ध्यान रखना चाहिये। अगर ऐसा नहीं होता तो काफी प्रयास के बाद भी अपेक्षित सफलता नहीं मिलती। वास्तु में कुछ ऐसे आसान उपायों को ध्यान रखकर हम घर में बरकत ला सकते हैं। इसके लिए कोई बड़े बदलाव की जरूरत नहीं बस इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना होगा। घर के मुख्य द्वार के पास कभी भी कूड़ेदान ना रखें। कहा जाता है कि ऐसा करने से आपके पड़ोसी आपके शत्रु बन सकते हैं। रसोई में रात को जूठे बर्तन नहीं छोड़ने चाहिए। अगर आप रात में बर्तन साफ नहीं कर सकते तो उन्हें सिर्फ पानी से धोकर रख दें। इससे धन हानि होने से बचेगी।
सूर्यास्त के समय किसी को भी दूध, दही या प्याज न दें। ऐसी मान्यता है कि इससे घर की बरकत और सुख-समृद्धि समाप्त हो जाती है। रात को सोने से पहले घर की रसोई में एक बाल्टी पानी भरकर रखें। इससे कर्ज से मुक्ति मिलती है। साथ ही बाथरूम में बाल्टी में पानी भरकर रखेंगे तो जीवन में उन्नति के रास्ते खुलते जाएंगे।
बिस्तर पर बैठकर कभी भी खाना नहीं खाना चाहिए। इससे घर में अशांति फैलती है और घर में रहने वाले सदस्यों पर कर्ज चढ़ने की संभावना बनी रहती है। कलश या छोटे पात्र को घर में बने पूजा स्थल या मंदिर के ईशान कोण में हमेशा जल से भरकर रखें। ऐसा करना घर में रहने वाले लोगों के लिए शुभ माना जाता है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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