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उत्तराखंड में होमगार्ड्स के लिए मुख्यमंत्री ने की यह घोषणा

होमगार्ड्स विभाग का ‘इंडोर फायरिंग रेंज’ प्रेमनगर में उपलब्ध भूमि पर बनेगाःसीएम

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड होमगार्ड एवं नागरिक सुरक्षा स्थापना दिवस पर रैतिक परेड का मान प्रणाम ग्रहण किया। मुख्यमंत्री ने कहा, हमारे जवान राष्ट्रसेवा का अद्वितीय उदाहरण है। उन्होंने रैतिक परेड में जवानों के मोटरबाइक पर साहस, कौशल एवं सन्तुलन के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि सभी जवान हमारे सहयोगी हैं और विभिन्न नागरिक सेवाओं में अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल में ही राज्य में 330 महिला होमगार्ड जवानों की भर्ती की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, प्रशिक्षण के बाद जल्द ही संगठन में  योगदान देंगी। अब 300 पुरुष होमगार्ड जवानों की भर्ती की तैयारी की जा रही है।

उन्होंने कहा, होमगार्ड्स के जवानों को कड़ी धूप, बरसात और कड़कड़ाती ठंड में यातायात एवं नागरिक सुरक्षा व्यवस्था को नियंत्रित करते हुए हमने देखा है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की, होमगार्ड्स विभाग में शस्त्र प्रशिक्षण प्रदान किए जाने के लिए ‘इंडोर फायरिंग रेंज’ प्रेमनगर में उपलब्ध विभागीय भूमि पर बनाया जाएगा।

होमगार्ड्स स्वयंसेवकों के कम्पनी कार्यालय/ट्रांजिट कैम्प/इमरजेन्सी सर्च एवं रेस्क्यू सेंटर के लिए भवन निर्माण किया जाएगा।

उन्होंने कहा, सभी होमगार्ड्स स्वयंसेवकों के लिए पूरे सेवाकाल में छह माह के चिकित्सा अवकाश की भी संस्तुति की गई है। राज्य में प्रथम बार महिला एवं पुरुष होमगार्ड्स को आत्मरक्षा के लिए विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। इसी वर्ष होमगार्ड विभागीय बैंड ‘‘मस्का बाजा’’ की भी स्थापना की गई जो एक सराहनीय प्रयास है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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