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रोजगार और स्वरोजगार में मदद करेगा उत्तराखंड सरकार का यह पोर्टल

  • कुशल और अकुशल युवाओं का डाटा बेस बनाकर रोजगार व स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है उद्देश्य
  • मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने किया पोर्टल का शुभारंभ
  • मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के साथ समन्वय करने में यह पोर्टल महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा 

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को सचिवालय में मंत्रिमंडल की उपस्थिति में Hope (helping out people Everywhere)  पोर्टल का शुभारम्भ किया। इस पोर्टल का यूआरएल hope.uk.gov.in है। इस पोर्टल का मुख्य उद्देश्य कुशल और अकुशल युवाओं का डाटा बेस बनाना तथा डाटा बेस के आधार पर रोजगार/स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।

कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का शुभारम्भ किया था। इस योजना के साथ समन्वय करने में यह पोर्टल महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। 

Hope पोर्टल के माध्यम से उत्तराखंड के ऐसे युवा जो विभिन्न राज्यों एवं उत्तराखंड में कुशल पेशेवर Skilled professional हैं तथा वर्तमान में किसी न किसी संस्थान में कार्य कर रहे हैं या जो उत्तराखंड में कौशल विकास विभाग के माध्यम से प्रशिक्षण लेना चाहते हैं, ऐसे युवाओं के लिए यह पोर्टल एक सेतु के रूप में कार्य करेगा। इस पोर्टल के डाटा बेस का उपयोग राज्य के समस्त विभाग तथा अन्य रोजगार प्रदाता युवाओं को स्वरोजगार/रोजगार से जोड़ने के लिए करेंगे। 

मुख्यमंत्री रावत की प्रेरणा से इस पोर्टल का निर्माण आईटी विभाग, कौशल विकास विभाग, नियोजन विभाग एवं एनआईसी ने आपसी समन्वय से किया। इस पोर्टल की वेब होस्टिंग उत्तराखंड सरकार के आईटीडीए, आईटी पार्क स्थित डाटा सेंटर में की गई है।

मुख्यमंत्री कार्यालय से मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार रवीन्द्र दत्त, सचिव आईटी आरके सुधांशु, सचिव नियोजन अमित नेगी, सचिव कौशल विकास डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा, निदेशक आईटीडीए अमित सिन्हा, एनआईसी के उप महानिदेशक के नारायण, एनआईसी के तकनीकी निदेशक नरेन्द्र सिंह नेगी ने इस पोर्टल को बनाने में मुख्य भूमिका निभाई। 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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