CARE

आप कामकाजी महिला हैं तो मेकअप से यूं निखारें खूबसूरती

कामकाजी महिलाओं को आमतौर पर दोहरी जिम्मेंदारी निभानी पड़ती है। उन्हें कार्यालय के साथ-साथ घर का काम भी निपटाना पड़ता है। ऑफिस जाने की जल्दी की वजह से उन्हे तैयार होने का समय नहीं मिल पाता है। ऐसे में सौंदर्य बरकरार रखने के लिए कामकाजी महिलाएं इन आसान मेकअप का इस्तेमाल कर सकती हैं।
करें ड्राई शैम्पू का उपयोग , यदि आपके पास शैम्पू करने का समय नहीं है और आपको कार्यालय के बाद पार्टी में जाना है तो फिर आप ड्राई शैम्पू का इस्तेमाल कर सकती हैं। अगर यह स्प्रे के रूप है तो इसे बालों की जड़ों पर स्प्रे कर कंघी की जा सकती है बालों को गीला करने की जरूरत नही पड़ेगी। इससे बालों की गंदगी और तेल दूर हो जाएगा।
बाल बांधने करें सूती टी-शर्ट का इस्तेमाल ,सुबह में बाल धोने के बाद यदि आपके पास हेयर ड्रायर इस्तेमाल करने का समय नहीं है तो सूती टी-शर्ट से बाल बांध लेना चाहिए। सूती टी-शर्ट बालों की नमी को तुरंत सोख लेगा और बालों में नैचरल मॉइश्चराइजर (प्राकृतिक नमी) प्रदान करेगा। जो बालों को प्राकृतिक रूप से कर्ल (घुघराले) बनाए रखेगा। आप चाहें तो सीरम का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
हाथ पैर में लगाएं पेट्रोलियम जेली , व्यस्तता की वजह से यदि आप मैनीक्योर और पेडीक्योर के लिए व्यूटी सैलून नहीं जा पा रही हैं तो फिर रात में सोने से पहले हाथ और पैर पर पेट्रोलियम जेली लगाएं और पैरों में मोजे पहन लें। यह त्वचा में नैचरल मॉइश्चराइजर बनाए रखता है।
आखों की सुंदरता के लिए आई पेंसिल का इस्तेमाल करें , अक्सर पार्टी से देर रात लौटने के बाद अक्सर नींद पूरी नही हो पाती है और सुबह कार्यालय जाते समय चेहरा उदास व बेजान बना रहता है। ऐसे में आंखों के निचले किनारे पर त्वचा के रंग या सफेद कलर की आई पेंसिल का इस्तेमाल करना चाहिए। आंखों पर लाइनर लगाना न भूलें।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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