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बारिश में आखों का रखें खास ध्यान

वर्षा ऋतु के दौरान वातावरण में चारो तरफ नमी होने की वजह से बीमारी के रोगाणु जैसे वायरस,जीवाणु और कवक के पनपने का खतरा अधिक होता है। मानसून सीजन अपने साथ कई प्रकार की बीमारियां भी लेकर आता है। इनमें से कवक संक्रमण का खतरा होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे मौसम में लोगों को अपनी आंखों का खास ध्यान रखना चाहिए क्योंकि बारिश के साथ आखों की समस्याएं बढ़ जाती हैं। नेत्र संक्रमण, कार्निया का गलना, आंख आना (कंजक्टिवाइटिस) जैसी समस्याएं आमतौर पर बारिश के दिनों में होने लगी है। इस मौसम में आंखों का संक्रमण एक सामान्य समस्या है। इस दौरान 10 में से 6 लोग आंखों की समस्या से पीड़ित हो जाते हैं। लोगों को इस मामले में सतर्क रहने की जरूरत है। बारिश के दिनों में आंखों की सही तरीके से देखभाल की जाए तो इस समस्या से बचा जा सकता है। विशेषज्ञों की राय है कि जब भी आंखों में किसी तरह का संक्रमण हो तो आंखों को रगड़ें नहीं। मानसून में हाथों में कई तरह के रोगाणु चिपके होते हैं जो अनजाने आंखों में चले जाते हैं। इसके कारण आंखों में संक्रमण हो जाता है। वहीं, आंखों की देखभाल की काफी जरूरी है। आंखों की देखभाल तब शुरू होती है, जब आप नियमित रूप से आंखों को धोते हैं, इससे आंखें साफ और सुरक्षित रहती हैं। चूंकि मानसून में आंधी-तूफान और हवा के साथ धूल-मिट्टी के साथ दूसरे प्रदूषित कण होते हैं जो आंखों में चले जाते हैं। आखों को धोना ही इनसे बचाने का सबसे बेहतर तरीका है। यदि इसके बाद भी खुजली हो तो चिकित्सक से संपर्क करें। आंखों पर अधिक दबाव बनाए जाने से संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर आप घंटों कम्प्यूटर पर काम करते हैं तो इससे आंखों पर दबाव पड़ना स्वाभाविक है। पलकों को न झपकाने और सफाई न करने से भी संक्रमण होता है। लोग आंखों की सफाई पर ध्यान नहीं देते जिससे आंखों का संक्रमण होता है। साथ ही कुछ अपने इस्तेमाल की चीजों को जैसे- तौलिया, आंखों का मेकअप, लेंस, शेड्स इत्यादि किसी दूसरे के साथ बिलकुल भी साझा न करें। इससे आंखों का संक्रमण हो सकता है। इसलिए जब भी आंखों में खुजली का एहसास हो, तुरंत आखों को धो लें, इसके बाद विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। धूल के कण बहुत छोटे होते हैं जो आपकी आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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