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सूचना विभाग से बोले सीएम, आम आदमी तक पहुंचाओ सरकार की योजनाएं

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सूचना विभाग के कार्यकलापों की समीक्षा के दौरान निर्देश दिए कि राज्य सरकार के जनहित में लिए गए निर्णयों, कल्याणकारी योजनाओं की आम आदमी तक पहुंच सुनिश्चित की जाए।

इसमें सूचना के सभी प्रारूपों का बेहतर ढंग से समन्वय कर अविलम्ब कार्य योजना तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों तक जनोपयोगी योजनाओं की जानकारी पहुंचाना विभाग का दायित्व है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में रविवार को देर शाम सूचना विभाग के विभिन्न कार्यकलापों, योजनाओं, प्रचार प्रसार की भावी कार्यक्रमों की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि सूचना विभाग के जनपद स्तरीय कार्यालयों को और अधिक सक्षम एवं सुविधा सम्पन्न बनाया जाए। उन्होंने ग्राम पंचायत स्तर तक सूचना तंत्र की पहुंच आसान बनाने के भी निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया के साथ बेहतर समन्वय बनाए जाने एवं समस्यायुक्त समाचारों की त्वरित समीक्षा के साथ वस्तुस्थिति स्पष्ट करते हुए कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।

विभाग को जनता में सरकार के जनकल्याणकारी कार्यों की जानकारी पहुंचाने की जिम्मेदारी है, इस पर ध्यान दिया जाए।

महानिदेशक सूचना रणवीर सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री को विभाग के कार्यों, भावी योजनाओं आदि की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि विभाग सरकार एवं आम जनता के मध्य बेहतर समन्वय एवं योजनाओं के व्यापक प्रचार प्रसार हेतु निर्देशानुसार प्रभावी कार्यवाही की जाएगी।

उन्होंने कहा कि विभाग शासकीय योजनाओं के प्रचार-प्रसार में सूचना तकनीकी के आधुनिक स्वरूपों का भी उपयोग करेगा। इसकी विस्तृत कार्य योजना शीघ्र तैयार की जाएगी।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, अपर निदेशक डॉ. अनिल चंदोला, संयुक्त निदेशक आशीष त्रिपाठी, के.एस. चौहान, उप निदेशक नितिन उपाध्याय, रवि विजारनियॉ सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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