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योग दिवस विश्व बंधुत्व के संदेश का दिन है, जो हमें जोड़े, साथ लाए वही तो योग हैः प्रधानमंत्री

  • छठे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का एकजुटता का दिन है
  • इस साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम- योगा एट होम एंड योगा विद फैमिली 
  • इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए योग की अनेक विधियां हैं, अनेक आसन हैं 
  • जब हम योग के माध्यम से समस्याओं के समाधान की बात कर रहे हैं, दुनिया के कल्याण की बात कर रहे हैं
नई दिल्ली। छठे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का एकजुटता का दिन है। ये International । जो दूरियों को खत्म करे, वही तो योग है। उन्होंने कहा कि कोरोना के इस संकट के दौरान दुनिया भर के लोगों का My Life – My Yoga वीडियो ब्लॉगिंग कंपटीशन में हिस्सा लेना, दिखाता है कि योग के प्रति उत्साह कितना बढ़ रहा है, कितना व्यापक है।
इस साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम  योगा एट होम एंड योगा विद फैमिली है। आज हम सब सामूहिक कार्यक्रमों से दूर रहकर, घर में ही अपने परिवार के साथ मिलकर योग कर रहे हैं। बच्चे हो, बड़े हो, युवा हो, परिवार के बुजुर्ग हो, सभी जब एक साथ योग के माध्यम से जुड़ते हैं, तो पूरे घर में एक ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए, इस बार का योग दिवस, अगर मैं दूसरे शब्दों में कहूँ भावनात्मक योग का भी दिन है, हमारी फैमिली बॉंडिंग को भी बढ़ाने का दिन है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के कारण आज दुनिया योग की जरूरत को पहले से भी अधिक गंभीरता से महसूस कर रही है। अगर हमारी इम्युनिटी स्ट्रांग हो तो हमें इस बीमारी को हराने में बहुत मदद मिलती है। इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए योग की अनेक विधियां हैं, अनेक प्रकार के आसन हैं। वो आसन ऐसे हैं जो हमारे शरीर की स्ट्रैंथ को बढ़ाते हैं, हमारे मेटोबॉलिज्म को शक्तिशाली करते हैं। 
लेकिन कोविड-19 वायरस खासतौर पर हमारे श्वसन तंत्र पर अटैक करता है। हमारे श्वसन तंत्र को मजबूत करने में जिससे सबसे ज्यादा मदद मिलती है वो है प्राणायाम, यानि कि breathing exercise. सामान्य तौर पर अनुलोम विलोम प्राणायाम ही ज्यादा popular है। ये काफी प्रभावी भी है। लेकिन प्राणायाम  के अनेक प्रकार है। इसमें , शीतली, कपालभाति, भ्रामरी, भस्त्रिका, ये सब भी होते हैं,  बहुत हैं अनगिनत हैं ।
योग की ये सभी विधाएं, ये तकनीक, हमारे respiratory system और immune system दोनों को मजबूत करने में बहुत मदद करती हैं। आप प्राणायाम को अपने दैनिक अभ्यास में जरूर शामिल करिए, और अनुलोम-विलोम के साथ ही अनेक जो प्राणायाम  तकनीक को भी सीखिए, उसको सिद्ध कीजिए । योग की इन पद्धतियों का लाभ बड़ी संख्या में आज पूरी दुनिया में कोविड-19 रोगी भी ले रहे हैं। योग की ताकत से उन्हें इस बीमारी को हराने में मदद मिल रही है।
योग से हमें वो आत्मविश्वास और मनोबल भी मिलता है जिससे हम संकटों से जूझ सकें, जीत सकें। योग से हमें मानसिक शांति मिलती है, संयम और सहनशक्ति भी मिलती है। स्वामी विवेकानंद कहते थे- “एक आदर्श व्यक्ति वो है जो नितांत निर्जन में भी क्रियाशील रहता है, और अत्यधिक गतिशीलता में भी सम्पूर्ण शांति का अनुभव करता है”।
किसी भी व्यक्ति के लिए ये एक बहुत बड़ी क्षमता होती है। जब बहुत ज्यादा विपरीत परिस्थिति हो, तब भी एक्टिव रहना, थककर हार न मानना, संतुलित रहना, ये सारी चीज़ें योग के माध्यम से हमारे जीवन में स्थान प्राप्त करती है, हमारे जीवन को ताकत देती है । इसीलिए, आपने भी देखा होगा, महसूस किया होगा, योग का साधक कभी संकट में धैर्य नहीं खोता है।
योग का अर्थ ही है- समत्वम् योग उच्यते अर्थात, अनुकूलता-प्रतिकूलता, सफलता-विफलता, सुख-संकट, हर परिस्थिति में समान रहने, अडिग रहने का नाम ही योग है।
जब हम योग के माध्यम से समस्याओं के समाधान की बात कर रहे हैं, दुनिया के कल्याण की बात कर रहे हैं, तो मैं योगेश्वर कृष्ण के कर्मयोग का भी आपको पुन: स्मरण कराना चाहता हूं। गीता में भगवान कृष्ण ने योग की व्याख्या करते हुए कहा है- ‘योगः कर्मसु कौशलम्’ अर्थात्, कर्म की कुशलता ही योग है। Efficiency in Action is Yoga. यह मंत्रा सदा हमें  सिखाता है कि योग के द्वारा जीवन में अधिक योग्य बनने की क्षमता पैदा होती है । अगर हम अपना काम अनुशासन से करते हैं, अपना दायित्व निभाते हैं तो भी ये एक तरह का योग ही है।
कर्मयोग का एक विस्तार और है। हमारे यहाँ कहा गया है-
युक्त आहार विहारस्ययुक्त चेष्टस्य कर्मसु। युक्त स्वप्ना-व-बोधस्ययोगो भवति दु:खहा।।
अर्थात्, सही खान-पान, सही ढंग से खेल-कूद, सोने-जागने की सही आदतें, और अपने काम, अपनी duties को सही ढंग से करना ही योग है। इसी कर्मयोग से हमें सभी तकलीफ़ों और समस्याओं का समाधान मिलता है। इतना ही नहीं, हमारे यहाँ निष्काम कर्म को, बिना किसी स्वार्थ के सभी का उपकार करने की भावना को भी कर्मयोग कहा गया है। कर्मयोग की ये भावना, भारत की रग-रग में रची-बसी है। जब भी जरूरत पड़ी, भारत के इस नि:स्वार्थ भाव को पूरी दुनिया ने अनुभव किया है।
जब हम योग से चलते हैं, कर्मयोग की भावना से चलते हैं, तो व्यक्ति के तौर पर, समाज के तौर पर, देश के तौर पर हमारी शक्ति भी कई गुना बढ़ जाती है। आज हमें इसी भावना से संकल्प लेना है- हम अपने स्वास्थ्य के लिए, अपनों के स्वास्थ्य के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। एक सजग नागरिक के रूप में हम परिवार और समाज के रूप में एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम प्रयास करेंगे कि Yoga at home and Yoga with family को अपने जीवन का हिस्सा बनाएँ।अगर हम यह करेंगे तो हम ज़रूर सफल होंगे, हम ज़रूर विजयी होंगे। इसी विश्वास के साथ, आप सभी को फिर से योग दिवस की शुभकामनाएं। लोकाः समस्ताः सुखिनो भवन्तु॥

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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