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PHOTO: ऋषिकेश में डॉ. लक्ष्मीनारायण जोशी के निर्देशन में इंटरनेशनल योगा फेस्टिवल

ऋषिकेश।  विश्व विख्यात योग गुरु डॉ. लक्ष्मीनारायण जोशी के निर्देशन में ऋषिकेश में एक मार्च से सात मार्च तक इंटरनेशनल योगा फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। वीरभद्र रोड स्थित स्मार्ट योगा रिट्रीट में चल रहे योगा फेस्टिवल में देश विदेश से बड़ी संख्या में युवा योगासनों के साथ मेडिटेशन, म्युजिकल योगा, डांसिंग योगा के साथ योग की विविध विधाओं को प्रशिक्षण ले रहे हैं। इस दौरान अध्यात्म  पर चर्चा का सत्र भी आयोजित किया जा रहा है।

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डॉ. लक्ष्मीनारायण जोशी के निर्देशन में शुक्रवार को योग कार्यशाला में देश विदेश से आए युवाओं ने योग के बारे में जाना। उनको बताया गया कि योगासन किस प्रकार से व्यक्ति को स्वस्थ और स्फूर्त बनाए रखता है। योगा फेस्टिवल में सुबह साढ़े सात बजे से नौ बजे और शाम साढ़े चार से छह बजे तक योगा क्लासेज चल रही हैं। छह से पौने सात बजे तक अध्यात्म पर चर्चा का सत्र आयोजित किया जाता है।

योग विशेषज्ञ डॉ. लक्ष्मी नारायण जोशी देश विदेश में योग पर आयोजित होने वाले व्याख्यान और कार्यशालाओं में विशेष वक्ता और मुख्य प्रशिक्षक के तौर पर शामिल होते रहे हैं। योगा फेस्टिवल में डॉ. जोशी के निर्देशन में योगाचार्य डॉ. अर्पिता नेगी, योगाचार्य सूर्य प्रकाश, आचार्य गंगाराम, रौनक गुज्जर, पार्थ, तनुश्री रावत, आचार्य विनय कौशिक, आशीष रावत , वीर बहादुर शाही, संजीव सेमवाल, सुरभि कोहली प्रशिक्षण दे रहे हैं।

 

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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