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हे गिरधारी
हे गिरधारी अब तो मेरी
प्रेम गगरिया भरने दो
सुना के अपनी मुरली की धुन
भवसागर से तरने दो
मैं प्रेम प्यासी चातक ठहरि
तुम घन प्रेम के घनश्याम सदा
अब तो मुझ दासी को अधरों से
ये अमृत रस चखने दो
हे गिरधारी………………..
तरस रही है राधा व्याकुल
तेरी एक झलक पाने को
मोहन अब तो इस दासी को
अपने दर्शन करने दो
हे गिरधारी… …………
गोकुल का ये सारा माखन
चुपके चुपके लील गए
माखन का एक कौर मुझे भी
हे मोहन खा जाने दो
हे गिरधारी………..
तुम बिन मुझको अब एक पल भी
चैन नहीं है धरती पर
अपने चरण कमल में मुझको
हे मधुसूधन रहने दो
हे गिरधारी……………….
तुम बिन अब सूना लगता है
पूरा गोकुल धाम प्रिये
रौनक तेरे नाम की मुझको
हे गोबर्द्धन करने दो
हे गिरधारी……..
#अबोध