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सनक्रीन खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान

गर्मियों में तेज धप से त्वचा को बचाने सनक्रीन की जरूरत पड़ती है। सनक्रीन लगाना सूर्य की किरणों से बचने के लिए जरूरी होता है, लेकिन इसे खरीदते समय स्किन टोन का ध्यान रखना जरूरी है। इसके अलावा और किन चीजों का ध्यान रखना जरूरी है। अगर आपकी स्किन ऑयली है, तो जेल या स्प्रे में उपलब्ध सनक्रीन खरीदकर लगाएं, इससे आपकी त्वचा ज्यादा ऑयली नहीं दिखेगी और अगर आपकी स्किन ड्राई है, तो लोशन या क्रीम के रूप में उपलब्ध सनक्रीन लगाएं। इससे आपकी त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों से सुरक्षा मिलेगी।
ऐसा सनक्रीन लगाएं जो आपको प्राकृतिक निखार दे और साथ ही आपके चेहरे को चिपचिपा और पसीने से तर दिखने से रोके।यूवीए और यूवीबी से सुरक्षा प्रदान करने वाले सनक्रीन का इस्तेमाल करें, क्योंकि यूवीए किरणों के कारण झुर्रियां पड़ जाती है और चेहरा का रंग काला पड़ने लगता है। वहीं, यूवीबी किरणों से टैनिंग होने के साथ ही त्वचा संबंधी कैंसर होने की आशंका भी रहती है। इसलिए दोनों हानिकारक किरणों से सुरक्षा प्रदान करने वाले सनक्रीन को खरीद कर लगाएं।
यूवीबी से सुरक्षा के लिए ‘एसपीएफ’ युक्त और यूवीए से सुरक्षा के लिए ‘पीए’ युक्त सनक्रीन खरीदें।
तेज धूप में निकलने से पहले एसपीएफ-30 और इससे ज्यादा एसपीएफ और पीए वाला सनक्रीन लगाएं।
सनब्लॉक क्रीम को अच्छी-खासी मात्रा में लेकर लगाएं क्योंकि एक या दो बूंद लगाने से यह प्रभावकारी असर नहीं दिखा सकेगा, इसे धूप में निकलने से कम से कम आधे घंटे पहले लगाएं।
सनक्रीन में ऑक्सीबेनजोन जैसे हानिकारक केमिकल नहीं होने चाहिए क्योंकि इससे आपके हार्मोंस पर असर पड़ सकता है और त्वचा में जलन, खुजली आदि की समस्या हो सकती है।
सनक्रीन खरीदते समय कब तक इसका इस्तेमाल किया जा सकता है यह जरूर जांच कर लें, इसके इस्तेमाल की तारीख जरूर देख लें क्योंकि एक्सपायर सनक्रीन से आपकी त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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