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हर सुबह आपके सामने ये दो विकल्प

लेविस हाव्ज अमेरिकी लेखक, उद्यमी और पूर्व पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ी हैं। उनके ये कोट्स जीने का तरीका बताते हैं। पेश हैं उनके कुछ चुनिंदा कोट्स, शायद आपको कुछ नया और महान करने के लिए प्रेरित कर सकें।  

समय ही धन है। यदि आप लोगों को समय बचा सकते हैं, तो आप लोगों को पैसा बचा रहे हैं।

लोगों को अपने सवालों या समस्याओं से अपना समय बर्बाद करने की अनुमति न दें। अक्सर न कहना जानें।

डर किसी की भी उम्मीदों और सपनों का खत्म करने का सबसे बड़ा कारण है। खुद को आगे बढ़ने के लिए इसको हावी न होने दें। 

“यदि आपका सपना आपको सुबह जल्द बिस्तर छोड़ने के लिए प्रेरित नहीं करता तो आपको एक नई दृष्टि की आवश्यकता है।  

सफल और असफल होने वाले लोग की क्षमताओं में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता है। लेकिन उनमें अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने की इच्छा अलग-अलग हो सकती हैं। 

दुनिया में जूनूनी लोग ही अपना स्थान बनाते हैं। 

अपने आप पर संदेह करने का अर्थ है कि आप उस पर शक कर रहे हैं, जिसने आप और पूरे ब्रह्मांड की रचना की है। 

अपने दिमाग में अच्छी बातों को स्थान दें और उन लोगों के साथ रहना सीखें, जो आपको तरक्की करने के लिए प्रेरित करते हैं। 

महान बनने के लिए अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आना होगा। 

लोगों को इस बात की परवाह नहीं है कि आप कितना जानते हैं, जब तक कि उन्हें पता नहीं है कि आप कितना ध्यान रखते हैं।

हर सुबह तुम्हारे सामने दो विकल्प होते हैं। अपने सपनों के साथ सोते रहो या जागकर सपनों को हकीकत में बदल लो। 

याद करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको अपने दर्शकों/लक्ष्य का पता होना चाहिए।

कोई भी जन्म के समय महान नहीं होता। हमारी इस दुनिया में रहकर ही कुछ लोग महान बन जाते हैं। 

हमारा एक ही नियम है। आपको रुकना नहीं है। आप भले ही उतना धीमा चल सकते हैं, जितना चलने के लिए जरूरी है, लेकिन आप रूक नहीं सकते। 

 जब तक आप अपनी दिनचर्या में सुधार नहीं करते, तब तक आपके जीवन में सुधार नहीं हो सकता। 

कभी भी अपने सपनों और खुद को कम नहीं आंकना चाहिए। महान बनने की क्षमता सबके भीतर होती है। 

हर कोई विफल होता है, सफल होने वाले भी। दुनिया के अत्यधिक सफल हुए लोग भी बाकि लोगों की तुलना में अधिक बार असफल हुए हैं।

रोजाना किए जाने वाले छोटे-छोटे कार्यों को सही तरीके से करना भी महानता है। 

अगर आपकी आलोचना की जाती है, तो स्पष्ट रूप से सवाल पूछे और उनके जवाब जानें। 

आपके पास भी वह क्षमता है, जिससे आप अपनी इच्छा से आय और जीवन स्तर हासिल कर सकते हैं। 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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