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28 मार्च को सुबह सात से एक बजे तक खुलेगा बाजारः मुख्यमंत्री

देहरादून। आवश्यक वस्तुओं की दुकानें कल 28 मार्च को भी सुबह 7 से दोपहर एक बजे तक खुली रहेंगी। मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने यह जानकारी देते हुए बताया कि आज पहले की अपेक्षा भीड़ कम रही है, इसलिए आज की यह व्यवस्था आगे भी जारी रहेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निर्णय इसलिए लिया गया था ताकि कोरोना से निबटने के लिए ज़रूरी सोशल डिस्टनेंसिंग का पूर्ण रूप से अनुपालन कराने के लिए आम जनता को ख़रीदारी के उद्देश्य से पर्याप्त समय मिल जाए और आवश्यक वस्तुओं की दुकानों में एक साथ भीड़ न एकत्र होने पाए। कल भी चौपहिया वाहनों पर रोक रहेगी।

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फेसबुक लाइव परअपने संदेश में मुख्यमंत्री ने बताया कि जिन तीन आईएफएस अधिकारियों का कोरोना पाजिटिव होने पर ईलाज चल रहा था, उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है और वे अब ठीक होने की स्थिति में आ गए हैं। मुख्यमंत्री ने उनके ईलाज में जुटे चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों को बधाई देते हुए कहा कि यह हमारे चिकित्सकों की सक्षमता को बताता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी जा रही है। इसमें हम जरूर जीतेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस व प्रशासन के लोग फार्मा इंडस्ट्री में काम करने वाले लोगों को न रोकें, हो सके तो उनको पहुंचाने की व्यवस्था करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़ी संख्या में सामाजिक, धार्मिक संस्थाएं और व्यक्तिगत तौर पर भी लोग आगे आए हैं और सहयोग के लिए स्वयं को प्रस्तुत किया है। हम इनके बहुत आभारी हैं।  मुख्यमंत्री राहत कोष में सहायता की इच्छा भी बहुत से लोगों ने व्यक्त की है। कइयों ने बड़ी राशि भी दी है। हम उनके भी आभारी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए यदि किसी के सुझाव हों तो हम उसका भी स्वागत करते हैं। प्राप्त सुझावों पर सरकार और शासन द्वारा विचार किया जाता है और उपयुक्त लगने पर क्रियान्वित भी किया जाता है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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