Featured

कोविड-19ः फर्जी खबरों को फैलने से रोकें राज्य: गृह मंत्रालय

नई दिल्ली। एक याचिका की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने फर्जी खबरों के चलते बढ़ी परेशानियों और इस क्रम में प्रवासी कामगारों के व्यापक स्तर पर पलायन को गंभीरता से लिया है। न्यायालय ने माना कि इससे लोगों को बेवजह मुसीबतों का सामना करना पड़ा है।

न्यायालय की टिप्पणियों के क्रम में केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) सचिव अजय कुमार भल्ला ने सभी राज्यों व संघ शासित क्षेत्रों को पत्र लिखकर फर्जी खबरों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने को कहा है। इसमें कहा गया कि भारत सरकार लोगों को तथ्यों और असत्यापित खबरों की पुष्टि की सुविधा देने के लिए वेब पोर्टल तैयार कर रही है। राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों से इससे संबंधित समस्याओं के लिए अपने स्तर पर ऐसा ही एक तंत्र विकसित करने का अनुरोध भी किया गया है।

उच्चतम न्यायालय ने एनडीएमए/ एमएचए के निर्देशों के क्रम में खाना, दवाएं आदि बुनियादी सुविधाओं के प्रावधान सुनिश्चित करने और प्रवासी कामगारों के लिए बने आश्रय स्थलों में अन्य कल्याणकारी गतिविधियां उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार ने देश में कोविड -19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों को दिशा-निर्देश, परामर्श, आदेश जारी किए हैं। कोरोना पर अपडेट के लिए क्लिक करें

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button