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निराशा से आशा की ओर ले जाएंगी ये 15 बातें

  1.  जब सब कुछ आप के विरुद्ध चल रहा है, तब याद रखें कि हवाई जहाज भी हवा के विरुद्ध उतरता है, उसके साथ नहीं। हेनरी फोर्ड
  2. यह हर किसी को यह याद रखना होगा कि हर विफलता कुछ बेहतर करने की शुरुआत हो सकती है।
    कर्नल हारलैंड सैंडर्स
  3. मैं अपनी सारी समस्याओं के लिए आभारी हूँ। जब तक ये समस्याएं दूर हुई, मैं और ज्यादा मजबूत हो गया, आने वाली समस्या से निपटने के लिए। मैं समस्याओं के साथ आगे बढ़ता गया। जेम्स कैश पेनी 
  4. कोई भी मोड़ सड़क का अंत नहीं होता … जब तक कि आप टर्न लेने में विफल नहीं होते।” अनजान 
  5. उन सभी कारणों के बारे में भूल जाओ, जिनकी वजह से कोई काम नहीं हो सकता है। आपको केवल वह वजह खोजने की जरूरत है, जिसकी वजह से कोई काम होगा।” डॉ. रॉबर्ट एंथोनी
  6.  असाधारण संघर्ष उन लोगों के लिए असाधारण उद्देश्य लाते हैं, जो इनकी प्रतीक्षा करते हैं। “
    ब्रायनना गजावोडा
  7. अपने सपनों की दिशा में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें। अपनी कल्पना किए गए जीवन को जियो।”
    हेनरी डेविड थोरयू
  8. बागीचे में खिले फूलों को देखो, न कि गिरने वाले पत्तों पर ध्यान लगाओ। जिंदगी में मुस्कराहट को महत्व दो न कि आंसुओं वाले पलों को। अनजान
  9. आपके असली दोस्त ही आपको आपकी कमियां बताएंगे। “ सिसिलियन प्रोवर्ब
  10. दुनिया गोल है। जो आपको अंत की तरह लगता है, हो सकता है वो शुरुआत हो। आइवी बेकर प्रिस्ट
  11. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितने लोग कहते हैं कि यह नहीं किया जा सकता है या कितने लोगों ने पहले इसे करने की कोशिश की है। यह अहसास करना महत्वपूर्ण है कि जो कुछ भी आप कर रहे हैं, वह इसका पहला प्रयास है। वैली आमोस
  12. जब एक दरवाज़ा बंद हो जाता है तो दूसरा दरवाजा खुलता है। लेकिन हम अक्सर बंद दरवाजे की ओर इतने लंबे समय से और इतने दुःख से देखते हैं कि हमारी नजर उन दरवाजों की ओर नहीं पड़ती, जो हमारे लिए खुले हैं। 
    अलेक्जेंडर ग्राहम बेल
  13. मैं किसी काम को क्यों नहीं कर सकता, इसकी वजह बताने की बजाय मैं यह बताऊं कि मैं इसको क्यों कर सकता हूं। 
  14. कल एक इतिहास है। कल एक रहस्य है। आज का दिन एक तोहफा है। यही कारण है कि इसे प्रेजेंट (Present)कहा जाता है। अनजान
  15. मैं जिंदगी के बारे तीन शब्दों में वो सब कुछ कह सकता हूं, जो मैंने इससे सीखा है, वह है- इट्स गोज ऑन। रॉबर्ट फ्रॉस्ट

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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