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ओमपुरी की आखिरी फिल्म कबाड़ी जल्द

प्रसिद्ध अभिनेता स्वर्गीय ओम पुरी की आखिरी फिल्म ‘मिस्टर कबाड़ी’ जल्द रीलिज होगी। इस फिल्म का निर्देशन उनकी पत्नी सीमा कपूर ने किया है। ओम पुरी की पत्नी सीमा कपूर ने बताया कि फिल्म ‘मिस्टर कबाड़ी’ में भी शौचालय का विषय है, लेकिन यह फिल्म पूरी तरह से शौचालय पर आधारित नहीं है।

कॉमेडी, फन और ड्रामेटिक तरीके से यह समझाने की कोशिश की गई है कि अगर किसी परिवार का सुलभ शौचालय भी है और वो इसके लिए काम करते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। इस बारे में बताते हुए सीमा कपूर कहती हैं, इस फिल्म में भी शौचालय की अहम भूमिका है लेकिन पूरी फिल्म उस पर आधारित नहीं है।

यश राज बैनर की फिल्‍म ‘कैदी बैंड’ रिलीज हो चुकी है और यह फिल्‍म बॉलीवुड में दो एक्‍टर्स लेकर आ रही है। इस फिल्‍म से कपूर खानदान का एक और चिराग फिल्‍मों में कदम रख रहा है। इस फिल्‍म से राज कपूर के नाती आदर जैन फिल्‍मों में प्रवेश कर रहे हैं। उनके साथ नई अभिनेत्री आन्‍या सिंह भी नजर आने वाली हैं। कहानी की बात करें तो फिल्‍म ‘कैदी बैंड’ की कहानी 5 अंडरट्रायल कैदियों की है।

फिल्म ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ प्यार और धोखे पर आधारित कहानी है। बाबू एक ऐसा कॉन्ट्रैक्ट किलर है, जिसका काम पैसों के लिए लोगों की जान लेना है। एक कॉन्ट्रैक्ट के दौरान उसकी मुलाकात होती है बिदिता से और वह उसे अपना दिल दे बैठता है। बाबू के जीवन में वैसे तो कोई बदलाव नहीं आता लेकिन, एक ठेके पर उनकी मुलाकात जतिन से होती है। वह भी एक कॉन्ट्रैक्ट किलर है लेकिन, वह बाबू को कहता है कि बाबू उसका गुरु है। बचपन से वह उसका फ्रेंड रहा है, फैन रहा है।

सिनेमाघरों में फिल्म ‘ए जेंटलमैन’ अपने एक्शन का जलवा बिखेरने के लिए तैयार है। फिल्म में मुख्य कलाकार सिद्धार्थ मल्होत्रा और जैकलिन फर्नाडिज एक्शन का जलवा बिखेरते नजर आएंगे। खास बात यह है कि इसमें अभिनेत्री ने असली बंदूक से गोलियों की बौछार की है।बताया जा रहा है कि जैकलिन ने पहली बार बंदूक हाथ में ली है और ये कोई डेमो बंदूक नहीं बल्कि असली बंदूक है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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