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पर्यावरण संरक्षण के लिए ऑनलाइन क्विज में शामिल होंगे बच्चे

नई दिल्ली। पर्यावरण मंत्रालय राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण क्विज “प्रकृति खोज” का आयोजन कर रहा है। क्विज 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर शुरू की जा रही है। क्विज युवाओं में पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाएगी। यह छात्रों को पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर जागरूक करेगी।

क्विज का उद्देश्य स्कूली बच्चों में पर्यावरण से जुड़े विज्ञान के बारे में रूचि पैदा करना, इसके बारे में और इसकी समस्याओं पर चर्चा करना है। इससे बच्चों, युवाओं को पर्यावरण और विकास संबंधी मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाने तथा पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करने में मदद मिलेगी। इससे वो प्रकृति की सराहना करने और संरक्षण के प्रति संवेदनशील होंगे, जिससे विभिन्न स्तरों पर सकारात्मक पर्यावरणीय कार्य होंगे।

क्विज दो चरणों में होगी। पहले चरण के लिए मंत्रालय के राष्ट्रीय हरित कोर (एनजीसी) कार्यक्रम के अंतर्गत बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों को इस पर्यावरणीय क्विज में शामिल होने का अवसर मिलेगा। स्कूलों में “पर्यावरण क्लब” बनाकर बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए मंत्रालय ने 2001-02 में एनजीसी की शुरुआत की थी। देश भर में लगभग एक लाख पर्यावरण क्लब हैं, जो सबसे बड़े संरक्षण नेटवर्क में से एक है।

इसके तहत छात्र स्वच्छता अभियान, कचरे को अलग-अलग करना, जैविक कचरे से कंपोस्ट तैयार करना, नुक्कड़ नाटक जैसी विभिन्न गतिविधियों में छात्र शामिल होते हैं। पहले चरण में 8 से 12 वर्ष, 13 से 15 वर्ष और 16 से 18 वर्ष तीन आयु वर्ग के बच्चों को शामिल करने की योजना है, जिसमें केवल पर्यावरण क्लब के छात्र ही शामिल होंगे। इसके बाद प्रतिभागियों से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर वर्ष 2018 में देशभर के सभी स्कूलों के छात्रों के लिए क्विज का दूसरा चरण शुरू होगा।

क्विज बहुविकल्पी प्रश्नों के जरिये ऑनलाइन होगी। क्विज में जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, वन और वन्यजीव, प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन, नदियों और झीलों, प्रकृति का इतिहास, जैव विविधता सम्मेलन, संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन जैसे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के बारे में प्रश्न होंगे। क्विज पर जानकारी के लिए मंत्रालय ने एक अलग वेबपार्टल www.ngc.nic.in विकसित की है। प्रकृति खोज पोर्टल और मंत्रालय की वेबसाइट पर क्विज की तिथि के बारे में जानकारी दी जाएगी। पर्यावरण क्लब के जिन छात्रों ने पोर्टल पर पंजीकरण कराया है, वे 18 सितंबर, 2017 से क्लाविफिकेशन दौर में हिस्सा ले सकते हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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