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मुख्यमंत्री ने कहा, 31 मार्च को राज्य के एक जिले से दूसरे जिले में जा सकेंगे

  • दो तीन दिन में 500 चिकित्सकों की भर्ती करने जा रहे हैं
  • पेंशनरों के लिए जीवन प्रमाण पत्र में एक माह की छूट
  • ड्राइविंग लाइसेंस नवीनीकरण के लिए एक माह की छूट 
देहरादून। देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि प्रदेश के भीतर जो लोग एक जिले से दूसरे जिले में जाना चाहते हैं, वो 31 मार्च को सुबह 7 बजे से शाम 8 बजे तक जा सकेंगे। केवल मंगलवार 31 मार्च के लिए ही यह अनुमति होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक दिन का यह विंडो इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि जगह-जगह से ऐसी बातें आ रही थी कि बहुत से लोग अपने काम से आए हुए थे और लॉकडाउन के कारण अपने घर से बाहर फंसे हैं। बसों व टैक्सियों को सेनेटाइज कराना होगा। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन किया जाना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुबह 7 से दोपहर 1 बजे तक आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को खोलने की व्यवस्था का अच्छा रेस्पोंस मिला है। इससे लोगों में घबराहट खत्म हुई है, भीड़ भी नही हो रही। लोग भी अब समझने लगे हैं। इसलिए इसी व्यवस्था को जारी रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि दिल्ली में उत्तराखंड के जो निवासी फंस गए हैं, उनके लिए उत्तराखंड सदन ओपन कर दिया गया है। वहां उनके भोजन, मेडिकल आदि व्यवस्था है। इसी प्रकार मुम्बई में भी उत्तराखंड भवन को लॉकडाउन में फंसे उत्तराखंड के लोगों के लिए ओपन किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम दो तीन दिन में 500 चिकित्सकों की भर्ती करने जा रहे हैं। इससे हमारे यहाँ चिकित्सक पर्याप्त संख्या में हो जाएंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि पेंशनरों के लिए जीवन प्रमाण पत्र और वाहन चालकों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस नवीनीकरण के लिए एक माह की छूट दी गई है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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