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रेलवे सुरक्षा बल 82 रेलवे स्टेशनों पर करेगा गुमशुदा बच्चों की तलाश

नई दिल्ली। रेलवे सुरक्षा बल मुसीबत में फंसे बच्‍चों की सहायता के लिए अभियान चला रहा है। अभियान की सफलता को देखते हुए रेल मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि इस अभियान को 47 और रेलवे स्‍टेशनों पर भी चलाया जाएगा। अभी तक 35 स्‍टेशनों पर यह मुहिम चलाई जा रही है। इन अतिरिक्‍त रेलवे स्‍टेशनों पर बाल सुरक्षा अभियान चलाने से यह अभियान 82 रेलवे स्‍टेशनों पर चलाया जाएगा। ए वन श्रेणी के 75 स्‍टेशनों को इस अभियान के तहत शामिल किया जाएगा।

‘ऑपरेशन मुस्‍कान’ लापता बच्‍चों के बचाव और पुनर्वास के लिए गृह मंत्रालय की प्रमुख पहल है। यह एक समर्पित अभियान है, जहां पुलिस संगठन गुमशुदा बच्‍चों की खोज और बचाव के लिए विभिन्‍न कार्य योजनाएं चलाते हैं और इन बच्‍चों को उनके परिवार से मिलाते हैं। रेलवे पुलिस और रेलवे रक्षा बल बचाव उपाय करते हैं और रेलगाडि़यों और रेलवे परिसरों में ऐसे गुमशुदा बच्‍चों की सहायता करती हैं, जिन्‍हें संरक्षा और सहायता की जरूरत होती है।

बड़ी संख्‍या में घर से भागे हुए, माता-पिता से बिछुड़े हुए और मानव तस्‍करी में शामिल बच्‍चे देश के विभिन्‍न भागों में यात्रा करते पाए जाते हैं। रेलवे ऐसे बच्‍चों की सहायता करती है और कई रेलवे परिसरों में ही उनको शरण देती है और उनका जीवन-यापन करती है। ये बच्‍चे हिंसा, शोषण और उपेक्षा के शिकार होते हैं। रेलवे सुरक्षा बल का लक्ष्‍य ऐसे लाखों बच्‍चों की सुरक्षा करना है जो अपना रास्‍ता भटक कर माता-पिता से बिछुड़ गए हैं। यह बल ऐसे बच्‍चों की तस्‍करी रोकने के लिए समर्पित है और समय पर उपर्युक्‍त कार्रवाई करके बच्‍चों का बचाव करती है।

वर्ष 2014, 2015 और 2016 के दौरान रेलवे रक्षा बल के कार्मिकों ने 20,931 बच्‍चों का बचाव किया, इनमें 1,317 ऐसे बच्‍चे थे जो मानव तस्‍करी में फंसे थे। इनमें 944 लड़के और 373 लड़कियां शामिल थीं। वर्तमान वर्ष 2017 में अगस्‍त तक 7,126 बच्‍चों को रेलवे सुरक्षा बल ने मुक्‍त कराया है इनमें 185 ऐसे बच्‍चे थे जो मानव तस्‍करी के जाल में फंसे थे, इनमें 124 लड़के और 61 लड़किया शामिल हैं।

रेलवे सुरक्षा बल प्रतिदिन रेलों और रेल परिसरों से 20-25 ऐसे बच्‍चों को उनके माता-पिता, रिश्‍तेदारों अथवा स्‍वयंसेवी संगठनों के सुरक्षित हाथों में सौंप रही है। ये बच्‍चे विधिक बाल कल्‍याण समितियों और कानूनी पुनर्वास संस्‍थानों को भी सौंपे जाते हैं। यह कल्‍याणकारी कार्य करके प्रति वर्ष रेलवे सुरक्षा बल के कर्मियों ने हजारों दुखी और हताश माता-पिता और रिश्‍तेदारों के चेहरे पर मुस्‍कान वापस दी है।

‘मुस्‍कान अभियान’ के तहत लापता बच्‍चों के बचाव के लिए चलाए जा रहे अभियान के अंतर्गत रेलवे सुरक्षा बल के प्रयासों और तेजी से उठाए गए मानवीय कदमों को देखते हुए गृह मंत्रालय ने रेल सुरक्षा बल को उल्‍लेखनीय सेवा के लिए पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया है। चिन्हित रेलवे स्‍टेशनों पर विशेष बूथ और बाल सहायता स्‍थल बनाए हैं। यहां पर रेलवे सुरक्षा बल के कर्मचारी 24 घंटे तैनात रहते हैं।

महिला व बाल विकास मंत्रालय से नामांकित स्‍वयंसेवी संगठन और बाल सहायता से संबद्ध कर्मचारी भी तैनात रहते हैं। यह सेवा रेलवे के लिए मानक संचालन प्रक्रिया के तहत चलाई जाती है ताकि रेलवे परिसरों और गाड़ियों में इस प्रकार के जरूरतमंद बच्‍चों को सहायता और संरक्षण प्राप्‍त हो सके।  यह सेवा रेल मंत्रालय राष्‍ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा कमीशन (एनसीपीसीआर) और महिला व बाल विकास मंत्रालय संयुक्‍त रूप से चला रहा है।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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