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बजरंग पुनिया और दीपा मलिक को राजीव गांधी खेल रत्न

नई दिल्ली। वर्ष 2019 के लिए खेलों में विशिष्ट योगदान के लिए पुरस्कारों की घोषणा की गई। इस वर्ष राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार बजरंग पुनिया व दीपा मलिक को प्रदान किया जाएगा। पुरस्कारों के लिए बड़ी संख्या में नामांकन प्राप्त हुए, जिन पर पूर्व अर्जुन पुरस्कार विजेताओं, द्रोर्णाचार्य पुरस्कार विजेताओं, खेल पत्रकारों, विशेषज्ञों, कमंटेटरों और खेल प्रशंसकों की चयन समितियों ने विचार किया। खेल पुरस्कार 2019 के लिए गठित चयन समिति के अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुकुंदकम शर्मा थे। समिति की सिफारिशों और गहन जांच के बाद सरकार ने निम्नलिखित खिलाड़ियों, कोच, संस्थाओं और विश्वविद्यालय को पुरस्कार देने का निर्णय लिया है।

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार- बजरंग पुनिया (कुश्ती) व दीपा मलिक पैरा एथलेटिक्स
द्रोणाचार्य पुरस्कार- नियमित श्रेणी में विमल कुमार (बैडमिंटन), संदीप गुप्ता (टेबल टेनिस) व मोहिंदर सिंह ढिल्लों (एथलीटिक्स), जीवन-पर्यन्त श्रेणी में मरज़बान पटेल (हॉकी), रामबीर सिंह खोखर(कबड्डी),संजय भारद्वाज (क्रिकेट)।

अर्जुन पुरस्कार- तजिंदरपाल सिंह तूर (एथलीटिक्स), मोहम्मद अनस याहिया (एथलीटिक्स), एस भास्करन (बॉडी बिल्डिंग), सोनिया लाथेर (मुक्केबाज़ी), रवींद्र जडेजा (क्रिकेट), चिंगलेनसाना सिंह कंगुजम (हॉकी), अजय ठाकुर (कबड्डी), गौरव सिंह गिल (मोटर स्पोर्ट्स), प्रमोद भगत पैरा स्पोर्ट्स (बैडमिंटन), अंजुम मौदगिल (शूटिंग), हरमीत राजुल देसाई (टेबल टेनिस), पूजा ढांडा (कुश्ती), फौआद मिर्ज़ा (घुड़सवारी), गुरप्रीत सिंह संधू (फ़ुटबॉल), पूनम यादव (क्रिकेट),स्वप्ना बर्मन (एथलीटिक्स), सुंदर सिंह गुर्जर पैरा स्पोर्ट्स (एथलेटिक्स), भमिदीपति साई प्रणीत (बैडमिंटन),सिमरन सिंह शेरगिल (पोलो)।

ध्यानचंद पुरस्कार- मैनुअल फ्रेड्रिकस (हॉकी), अरूप बसक (टेबल टेनिस), मनोज कुमार (कुश्ती), नितेनकिरतने (टेनिस), सी. लालरेमसंगा (तीरंदाजी)

राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार के लिए गगन नारंग स्पोर्ट्स प्रमोशन फाउंडेशन
गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन, रायलसीमा विकास ट्रस्ट की घोषणा की गई।

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (एमएकेए) ट्रॉफी, 2019- पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़

राष्ट्रपति भवन में 29 अगस्त को होने वाले समारोह में विजेताओं को राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान करेंगे। राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार विजेताओं को पदक, प्रशस्ति पत्र के अलावा साढ़े सात लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यानचंद पुरस्कार विजेताओं को लघु प्रतिमा, प्रमाण पत्र और पांच-पांच लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार 2019 में संस्था को एक ट्रॉफी, प्रमाण पत्र दिया जाता है। राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार विजेताओं को ट्रॉफी और प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। अंतर-विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं में कुल मिलाकर शीर्ष प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालय को एमएकेए ट्रॉफी, 10 लाख रुपये की पुरस्कार राशि और प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।

खेलों में उत्कृष्टता को मान्यता देने और पुरस्कृत करने के लिए राष्ट्रीय खेल पुरस्कार हर साल दिए जाते हैं। राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार चार वर्ष की अवधि के दौरान खेलों के क्षेत्र में सबसे शानदार और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को दिया जाता है।

अर्जुन पुरस्कार 4 वर्षों के दौरान लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए दिया जाता है। द्रोर्णाचार्य पुरस्कार प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में पदक विजेता तैयार करने वाले कोच को प्रदान किया जाता है। खेलों के विकास में जीवन पर्यन्त योगदान देने के लिए ध्यानचंद पुरस्कार दिया जाता है।

कॉरपोरेट संस्थाओं (निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों में) और उन व्यक्तियों को राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार दिया जाता है जिन्होंने खेलों के प्रोत्साहन और विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अंतर-विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं में कुल मिलाकर शीर्ष प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालय को मौलाना अबुल कलाम आजाद (एमएकेए) ट्रॉफी प्रदान की जाती है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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