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रिस्पना से ऋषिपर्णा बनेगी दून की लाइफ लाइन

देहरादून। बढ़ते जनसंख्या दबाव में देहरादून ने अपनी लाइफ लाइन को ही संकट में डाल दिया है। एक नदी जो कभी देहरादून की आबोहवा और इसके सौंदर्य का परिचय कराती थी, वो खतरे में है। उत्तराखंड सरकार रिस्पना को फिर से ऋषिपर्णा बनाने के लिए अद्भुत मिशन शुरू कर रही है। रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने के लिए राज्य सरकार जनता का सक्रिय सहयोग चाहती है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दीपावली के दिन गुरुवार को अपने आवास में ईको टास्क फोर्स 127 गढ़वाल राइफल्स के सीओ हरिराज सिंह राणा तथा यूएसईआरसी के निदेशक प्रो. दुर्गेश पन्त तथा अन्य पदाधिकारियों के साथ रिस्पना नदी के पुनर्जीवन तथा राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में फलोत्पादन तथा अखरोट उत्पादन के प्रोत्साहन पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में है। पढ़ें- एक थी रिस्पना… देहरादून की प्रमुख नदी

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस मिशन के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराएगी। ईको टास्क फोर्स के पदाधिकारियों से कहा कि रिस्पना नदी के पुनर्जीवन के लिए एक स्वतन्त्र निकाय की स्थापना के साथ इस मिशन के तहत वृक्षारोपण के साथ ही छोटे छोटे चैक डैमो का निर्माण भी आवश्यक है, ताकि जल सरंक्षण के साथ ही ग्राउंड वाटर लेवल में भी वृद्धि होगी। जनता की सक्रिय व प्रभावी भागीदारी का आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि रिस्पना के पुनर्जीवन को एक महा जनअभियान बनाना होगा। पढ़ें-रिस्पना की पड़तालः वर्षों पुरानी सभ्यता की साक्षी रही यह नदी

उन्होंने कहा कि व्यापक जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए रिस्पना के पुनर्जीवन से सम्बन्धित एक वेबसाइट शीघ्र ही लांच की जाए। हाल ही में ईको टास्क फोर्स के दो जवानों राइफलमैन व्रिकम सिंह तथा राइफलमैन धरम सिंह की वृक्षारोपण के दौरान मृत्यु पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य सरकार जवानों के आश्रितों की हरसम्भव सहायता करेगी। पढ़ें-रिस्पना को पुनर्जीवित करेगी सरकार

ईको टास्क फोर्स 127 गढ़वाल राइफल्स के सीओ हरिराज सिंह राणा ने बताया कि ईको टास्क फोर्स ने राज्य में जूनियर ईको टास्क फोर्स का गठन किया है। जूनियर ईको टास्क फोर्स ने 1000 बच्चों को वृक्षारोपण व जल संरक्षण का प्रशिक्षण दिया है। रिस्पना नदी की पुनर्जीवन के लिए भी ईको टास्क फोर्स प्रयासरत है। इस दिशा में नदी की सेटेलाइट इमेजरी कर ली गई है। चमोली के जोशीमठ के निकट सराईकोटा में अखरोट के एक लाख पौधे लगाए जा रहे हैं। टास्क फोर्स वृक्षारोपण के लिए चमोली के माना मलारी क्षेत्र में विशेष प्रयास कर रही है। इस अवसर पर ईको टास्क फोर्स के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को अंजीर का पौधा भेंट किया।पढ़ें- उद्गम से रिस्पना की पड़तालः अवैध कब्जों से घिरी नदी

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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