Uttarakhand

खेल दिवस पर रन फॉर उत्तराखंड

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को गाँधी पार्क में राष्ट्रीय खेल दिवस पर  ‘रन फॉर उत्तराखंड‘ की हरी झंडी दिखाकर शुरुआत की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि राष्ट्रीय खेल दिवस एक ऐसे खिलाड़ी, मेजर ध्यान चंद की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने देश की आन बान और शान के लिये जीतोड़ मेहनत की और भारत को हॉकी का सरताज बना दिया। कभी हार न मानना, मुश्किलों में बहाने नहीं बनाना, जुझारूपन, लीडरशिप क्वालिटी जैसी बातें हम मेजर ध्यान चंद के जीवन से सीख सकते हैं।

‘रन फॉर उत्तराखंड‘ में नौजवानों और बड़ी उम्र के लोगों को शामिल होते हुए देखकर बहुत खुशी हो रही है। हम राज्य के विकास के लिये दौड़ें, हम जो भी करें राज्य के लिये करें, हमारे लिए राज्य का विकास ही सर्वोच्च होना चाहिए। आप लोगों के मजबूत इरादे, जोश और खेल भावना को देखकर ही इस रैली को ‘रन फॉर उत्तराखंड‘ नाम दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2018 में उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेल होने हैं। उसकी तैयारियों के लिए आज एक महत्वपूर्ण शुरुआत हुई है। इसके लिए हम आयोजन स्थलों को भी तैयार कर रहे हैं। बच्चों को बेहतर खेल सुविधाएं मिलें, इस पर सरकार गम्भीरता से काम कर रही है। समय-समय पर ऐसे आयोजन होते रहेंगे, ताकि राज्य राष्ट्रीय खेलों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर सकें।

इस वर्ष यह दौड़ उत्तराखंड के लिए हो रही है, अगले वर्ष यह दौड़ देश के लिए होगी। इस अवसर पर खेल मंत्री अरविंद पांडे, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक गणेश जोशी, हरबंस कपूर, खजानदास, उमेश शर्मा काऊ और शूटिंग ट्रेनर जसपाल राणा सहित बड़ी संख्या में स्कूल कालेजों के छा़त्र-छात्राएं और एनसीसी कैडेट्स उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मंगलवार को रिंग रोड स्थित अपर गढ़वाली कॉलोनी में मां नंदा देवी की डोली शोभायात्रा में शामिल हुए। उन्होंने मंदिर परिसर में पूजा अर्चना की और राज्य की खुशहाली तथा संपन्नता के लिए प्रार्थना की।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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