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सिंगल यूज प्लास्टिक से मोटर ऑयल

शोधकर्ताओं ने एक ऐसी विधि विकसित की है, जिससे सिंगल यूज प्लास्टिक से उच्च गुणवत्ता वाले तरल उत्पाद तैयार किए जा सकेंगे, इन उत्पादों में मोटर ऑयल, ल्यूब्रिकेंट्स, डिटर्जेंट्स और यहां तक कि कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स भी शामिल है।

यह रिसर्च वर्तमान रीसाइक्लिंग के तरीकों में भी सुधार के लिए बड़ा कदम साबित होगी, जिसके परिणामस्वरूप सस्ते, कम-गुणवत्ता वाले प्लास्टिक उत्पाद मिलते हैं। इससे पर्यावरण से प्लास्टिक प्रदूषण को हटाने और इकोनॉमी को गति देने में सहयोग मिलेगा। वैज्ञानिकों द्वारा विकसित इस विधि में जिस उत्प्रेरक का योगदान है, उसे नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, अमेरिका, नेशनल लेबोरेटरी एंड एमएस लेबोरेटरी की टीमों ने तैयार किया है।

यह शोध एसीएस सेंट्रल साइंस में प्रकाशित हुआ है। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के कैनेथ आर पोपेलमीयर ने बताया कि हमारी टीम इस नई तकनीक की खोज से काफी खुश है। इस तकनीक से प्लास्टिक कचरा बढ़ने की समस्या के निपटारे में मदद मिलेगी। हमारे इस निष्कर्ष से भविष्य में प्लास्टिक सामग्री से लाभ को जारी रख सकते हैं, लेकिन यह करने के लिए हमें उन तरीकों को इस्तेमाल करना होगा, जिनसे पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य को हानि न पहुंचे या कम से कम नुकसान हो।

सामान्य तौर पर शहरों और ग्रामीण इलाकों में देखा जाए तो सिंगल यूज प्लास्टिक कूड़े के ढेरों, सड़कों के किनारे पड़े होते हैं। ये हमारे ड्रेनेज सिस्टम को भी चोक कर देते हैं। इसकी वजह इनकी वृद्धि पर रोक के लिए उपाय नहीं होना और इनका निस्तारण सही तरीके से नहीं किया जाना भी है।

साइंस डेली में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार हर साल दुनियाभर में 380 मिलियन टन प्लास्टिक बनाया जाता है। प्लास्टिक के बाजार में वृद्धि के मद्देनजर विश्लेषकों का अनुमान है कि 2050 तक इसका उत्पादन चार गुना हो सकता है। इनमें से 75 फीसदी से अधिक प्लास्टिक सामग्री को एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाता है या फिर इस्तेमाल नहीं किया जाता, जिसको हम सिंगल यूज प्लास्टिक कहते हैं। इनमें से कई हमारे महासागरों और जलमार्गों में इकट्ठे हो जाते हैं। वन्य जीवों को नुकसान पहुंचाते हैं और विषाक्त पदार्थों को फैलाते हैं।

हम कुछ मामलों में प्लास्टिक की खपत को कम कर सकते हैं। जब प्लास्टिक को पिघलाया और पुनर्संयोजित किया जाता है, जिससे हानिकारक कचरा पैदा होता है, वहीं  इस प्रकार की रिसाइक्लिंग से हासिल होने वाली सामग्री कम मूल्य की होती है, जो मूल सामग्री की तरह संरचनात्मक रूप से मजबूत नहीं होती है। जब प्लास्टिक को लैंडफिल में छोड़ दिया जाता है तो यह खराब नहीं होता है।

प्लास्टिक बहुत मजबूत कार्बन- कार्बन बांड से बना होता है। ये छोटे प्लास्टिक में टूट जाते हैं, जिसे माइक्रोप्लास्टिक्स के रूप में जाना जाता है। इन मजबूत बंधों को एक समस्या के रूप में देखा जाता है, लेकिन नॉर्थ वेस्टर्न, एर्गोन नेशनल लैबोरेटरी और एमेस लैबोरेटरी की टीम ने इसकी एक अवसर के रूप में पहचान की। शोधकर्ता बताते हैं कि हमने उच्च ऊर्जा को फिर से इकट्ठा करने की कोशिश की, जो उत्प्रेरक के माध्यम से पॉलीथिलिन मॉल्युकल्स को वैल्यु एडेड कॉमर्शियल प्रोडक्ट्स में परिवर्तित करके कार्बन कार्बन बांड को एक साथ रखता है।

अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि यह उत्प्रेरक प्लेटिनम नैनोपार्टिकल्स से मिलकर बना होता है, जो आकार में सिर्फ दो नैनोमीटर के होते हैं। ये नैनोक्यूब पर जमा होते हैं, जिसका आकार 50-60 नैनोमीटर का होता है। मध्यम दबाव और तापमान में उत्प्रेरक ने प्लास्टिक के कार्बन-कार्बन बांड को तोड़कर उच्च गुणवत्ता वाले लिक्विड हाइड्रोकार्बन्स का उत्पादन किया।

इन लिक्विड का उपयोग मोटर ऑयल, ल्युब्रिकेंट्स या वैक्स में किया जा सकता है। इसको डिटर्जेंट में मिलने वाले तत्वों को बनाने और सौंदर्य प्रसाधन सामग्री बनाने के लिए संशोधित किया जा सकता है। सबसे अच्छी बात यह है कि उत्प्रेरक विधि से उत्पाद बनाने की प्रक्रिया में बहुत कम कचरा पैदा हुआ, जबकि रिसाइक्लिंग में प्लास्टिक को पिघलाने या पारंपरिक उत्प्रेरकों का उपयोग करने से ग्रीन हाउस गैसों और जहरीले उत्पाद वातावरण में घुलते हैं।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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