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सोया मिल्क नहीं है बच्चे के लिए बेहतर विकल्प

मां के दूध से बेहतर बच्चे के लिए कोई दूसरा दूध नहीं है। लेकिन अगर आप किसी वजह से अपने बच्चे को दूध नहीं पिला पा रही हैं, तो जरूरी है यह समझना कि बच्चे के लिए बाजार का कौन-सा दूध बेहतर रहेगा। अक्सर मां को लगता है कि बच्चे को सोया मिल्क पिलाना बेहतरीन विकल्प है, जबकि ऐसा नहीं है। आप जब भी अपने बच्चे को सोया मिल्क पिलाएं, तो उससे पहले एक बार डॉक्टर से जरूर पूछ लें। आमतौर पर डॉक्टर्स 6 महीने से कम आयु के बच्चों को सोया मिल्क पिलाने की इजाजत नहीं देते। अगर बच्चे को गाय के दूध से एलर्जी हो, तो आप सोया मिल्क को विकल्प के तौर पर चुन सकती हैं, लेकिन आपको यह बताते चलें कि सोया मिल्क एलर्जी न होने की गारंटी नहीं है। असल में यह जानना आवश्यक है कि आपके बच्चे को किस तरह का दूध सूट करता है। यदि उसे एनिमल दूध से एलर्जी है, तो डॉक्टर की सलाह के मुताबिक कब और कितना सोया मिल्क देना है, अच्छी तरह समझ लें।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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