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मुख्यमंत्री ने स्वरोजगार योजनाओं के ऋण स्वीकृति पत्र बांटे

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सर्वे चौक स्थित महिला आईटीआई परिसर में मेगा स्वरोजगार शिविर का उद्घाटन किया। उन्होंने विभिन्न विभागों के स्वरोजगार योजनाओं के स्टॉलों का निरीक्षण भी किया। मुख्यमंत्री ने स्वरोजगार योजनाओं के तहत लाभार्थियों को ऋण स्वीकृति पत्र एवं चेक वितरित किए।

इस मौके पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि रोजगार एवं स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। सरकारी सेवाओं में रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई गई है।

स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार कई योजनाएं चला रहे हैं। राज्य में उद्योग नीति को सरल किया जा रहा है। जन समस्याओं का समाधान जल्द हो इसके लिए कार्यों के सरलीकरण, समाधान और निस्तारण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आर्थिक विकास के लिए स्वरोजगार एक अच्छा माध्यम है। स्वरोजगार के माध्यम से एक व्यक्ति अपने साथ कई लोगों को रोजगार से जोड़ सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी जनपदों में स्वरोजगार शिविर लगाए जा रहे हैं। इनमें संबंधित सभी विभागों एवं बैंकर्स को स्टॉल लगाने के निर्देश दिए गए हैं। सभी समस्याओं का समाधान एक ही स्थान पर हो, इसके प्रयास किए जा रहे हैं।

उद्योग मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत अभी तक 113 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किये जा चुके हैं। दस हजार से अधिक लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा गया है। इस अवसर पर विधायक खजान दास भी उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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