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छात्रों के ड्रॉप आउट के कारणों का अध्ययन करें अफसरः धामी

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में विद्यालयी शिक्षा, तकनीकि शिक्षा, उच्च शिक्षा, कौशल विकास एवं खेल विभाग की समीक्षा बैठक में कहा कि प्रदेश के विकास के लिए विभाग योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए गम्भीरता से प्रयास करें।

विद्यालयी शिक्षा की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जिन जिलों में विद्यार्थी ड्रॉप आउट हो रहे हैं, इनके कारणों का विस्तृत अध्ययन करें और इसे कम करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएं। केन्द्र पोषित योजनाओं के तहत होने वाले कार्यों में तेजी लाई जाए।

तकनीकि शिक्षा विभाग की समीक्षा के दौरान उन्होंने निर्देश दिए कि पॉलिटेक्निक कॉलेजों एवं आईटीआई में समय की मांग के आधार पर कोर्स कराएं जाएं। इसके लिए औद्योगिक संस्थानों से निरंतर आपसी समन्वय बनाने पर ध्यान दिया जाए।

उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा के दौरान निर्देश दिए कि उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध को बढ़ावा देने के लिए और प्रयासों की जरूरत है। शोध आधारित मॉडल महाविद्यालय बनाने की दिशा में तेजी से कार्य किये जाएं तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुपालन पर विशेष ध्यान दिया जाए।

कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सभी तकनीकी संस्थाओं को एकीकृत रूप में एक प्लेटफार्म पर लाया जाए। रोजगार मेलों का नियमित आयोजन किया जाए और उनका व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार भी किया जाए।

खेल विभाग की समीक्षा के दौरान निर्देश दिए कि यह सुनिश्चित किया जाए कि नई खेल नीति में खिलाड़ियों की सुविधा के लिए जो भी प्रावधान किए गए हैं, उनका सभी को पूरा लाभ मिले। राज्य में 2024 में प्रस्तावित 38वें राष्ट्रीय खेलों की तैयारियां अभी से शुरू कर दी जाएं। बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, विशेष प्रमुख सचिव अभिनव कुमार, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, रविनाथ रमन, विजय कुमार यादव, शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी, निदेशक खेल जितेन्द्र सोनकर आदि उपस्थित थे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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