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उत्तराखंड चुनावः अगली लिस्ट में युवा कांग्रेस को मिलेगी तरजीह

युवा कांग्रेस के कोटे से तीन से चार सीट दिए जाने की संभावना

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 53 प्रत्याशियों की घोषणा की है, जिसमें अनुभवी नेताओं के साथ युवाओं को भी जगह मिली है, हालांकि गदरपुर से टिकट मांग रहे युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुमित्तर भुल्लर को टिकट नहीं मिला। पर, फिर भी इस बात की पूरी संभावना है कि 17 प्रत्याशियों की अगली सूची में युवाओं को पहले से ज्यादा तरजीह दी जाएगी।

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड चुनाव में बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर भाजपा पर हमलावर हो रही कांग्रेस से टिकटों के बंटवारे में भी युवाओं को प्राथमिकता देने की दरकार है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी प्रत्याशियों के चयन में युवाओं को प्राथमिकता दिए जाने के पक्ष में हैं। माना जा रहा है कि अगली लिस्ट में युवा कांग्रेस के कोटे से कम से कम तीन से चार सीटें  दी जा सकती हैं।

देखें कांग्रेस की पहली लिस्ट-

कांग्रेस ने यमुनोत्री, कर्णप्रयाग, केदारनाथ, रुद्रप्रयाग, बीएचईएल रानीपुर सहित अन्य सीटों पर युवाओं को टिकट दिया है। अभी डोईवाला, ऋषिकेश, देहरादून कैंट, नरेंद्रनगर, टिहरी, ज्वालापुर, झबरेड़ा, रुड़की, खानपुर, हरिद्वार ग्रामीण, लक्सर, चौबट्टाखाल, लैंसडौन, सल्ट, लालकुआं, कालाढूंगी, रामनगर सीट पर प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। सोमवार तक इन सीटों पर भी प्रत्याशियों की घोषणा हो सकती है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की सीट भी घोषित नहीं हुई है। वहीं, अभी-अभी कांग्रेस में शामिल हुए हरक सिंह रावत और उनकी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं की सीटों का भी फैसला नहीं हुआ है। दोनों को प्रत्याशी बनाया जाएगा या फिर किसी एक को चुनाव लड़ाया जाएगा।

हालांकि, यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य के टिकटों की घोषणा के बाद संभावना व्यक्त की जा रही है कि हरक सिंह और अनुकृति गुसाईं दोनों को प्रत्याशी घोषित किया जा सकता है। अनुकृति की सीट को लेकर स्थिति काफी हद तक साफ है, पर हरक सिंह कहां से चुनाव लड़ेंगे, यह देखना है। वहीं, किशोर उपाध्याय, शूरवीर सिंह सजवाण और ओमगोपाल रावत की दावेदारी पर भी दूसरी लिस्ट में फैसला होगा।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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