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बच्चे को सिखायें अच्छी बातें

आने वाली नई पीढ़ी ही भविष्य का निर्धारण करती है पर आजकल किसी के पास उन्हें अच्छी बातें सिखाने का समय ही नहीं है। लोग आगे निकलने और पैसा कमाने की अंधी दौड़ में यह भूल गये हैं कि बच्चे उनकी असली पूंजी हैं। आज के समय में इस प्रकार बच्चों को सिखायें अच्छी बातें।
सही संस्कार दें
बच्चों को सही संस्कार और शिक्षा देना बेहद जरूरी है। उन्हें एक आदर्श व्यक्तित्व पाने में मदद की जाए। लेकिन आगे निकलने और पैसा कमाने की अंधी दौड़ के इस दौर में बच्चों को अच्छी बातें कैसे सिखाई जाएं? बच्चे बताने से ज्यादा आसपास के माहौल से देख कर सीखते हैं। साथ ही उन्हें बचपन से ही सही तरीके से समझाने की जरूरत होती है। बच्चों को बचपन से ही त्याग, ममता, प्यार, अनुशासन और प्रगति की शिक्षा देनी होती है। साथ ही उन्हें ये भी सिखाना पड़ता है कि एक दूसरे की मदद कर ही प्रगति की जा सकती है और त्याग व ममता जैसे गुण एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं और न सिर्फ अनके बल्कि देश के अज्वल भविष्य को भी तय करते हैं। तो चलिए जानें कि अपने बच्चे में ये गुण कैसे डाले जाएं और इनके क्या फायदे होते हैं।
बच्चे को चीजों को बांटना सिखाएं
बच्चे चीजों को बांटना तभी सीखते हैं, जब वे अपने से बड़ों को ऐसा करता देखते हैं। अगर वो आपको लालच करता हुए देखेंगे तो कभी भी चीज़ें बांटना नहीं सीख पाएंगे। आज के दौर के छोटे बच्चों में देखा जाता है कि वे अपनी चीजें या खिलौने आदि को शेयर करना बिल्कुल पसंद नहीं करते। ऐसा उनके ज्यादातर अकेले रहने और सामाजिक न होने के कारण अधिक होता है, और ये अनके भविष्य के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं होता है। तो अपने बच्चों के सामने व उनके साथ चीज़ें बांटें। इस मामले में माता और पिता दोनों की अहम भूमिका होती है, खासतौर पर पिता की। पिता होने के नाते आपको अपने बेटे को कई ज़रूरी बातें सिखानी होती हैं। और एक बढ़ता हुआ बेटा अपने पिता से बहुत कुछ सीखता भी है। तो उसे अच्छी चीजें सीखाने के लिए खुद भी उसके सामने अच्छी चीजों के उदाहरण पेश करें। उसे सिखाएं कि परिवार में कब और किसे आपकी जरुरत है, और इसे कैसे समझें और अपनी जिम्मेदारी को निभाएं।
सहायता करने तैयार रहें
अक्सर हम जब पब्लिक ट्रांसपोर्ट या किसी अन्य स्थान पर किसी को किसी दूसरे ज़रूरतमद की मदद करते देखते हैं और बहुत खुशी होती है और खुद को भी ऐसा करने की प्रेरणा मिलती है। अपने बच्चों को भी बताएं कि आपने उसकी मदद क्यों की है और उसको भी बड़ा होकर ऐसा करना चाहिए।
विनम्रता से बात करना सिखाएं
बच्चे को विनम्रता से बात करना सिखाएं और जब भी आप किसी से कुछ मांगें तो ख्याल रखें कि प्लीज कह कर ही बात करें। अगर आप बच्चे के सामने सज्जनता से व्यवहार करेंगे तो वो भी इससे सीखेगा। लेकिन ध्यान रहे कि कोई भी चीज़ आप अपने बच्चे को ज़बरदस्ती नहीं सिखा सकते हैं। आपको प्यार के साथ उसे खुद उदाहरण पेश कर व समझा कर उसे सिखाना होगा। आपको उसे अच्छा काम करने पर शाबाशी भी देनी चाहिए और उसका उत्साहवर्धन करना चाहिए।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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