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’ॐ’ के जाप से दूर होती है परेशानी

हिंदू धर्म में ’ॐ’ के जाप को सभी परेशानियों को दूर करने वाला माना जाता है। इससे जो सकारात्मक उर्जा निकलती है वह आसीम शांति के साथ ही मनोबल भी बढ़ाती है। इस जाप से मानसिक व शारीरिक तकलीफें दूर होती हैं। इसलिए अगर आप किसी परेशानी में हैं तो ’ॐ’ का जाप, कर इसका लाभ स्वयं देखें।
तनाव से मुक्ति दिलाता है ॐ का मंत्र
’ॐ’ का निरंतर जाप करने से दिमाग शांत होता है और बहुत-सी शारीरिक तकलीफें दूर होती हैं। इससे आंतरिक और बाह्य विकारों का भी निदान होता है और नियमित जाप से व्यक्ति के प्रभामंडल में वृद्धि होती है।
जाप के लिए किसी शांत जगह का चुनाव करें।
यदि सुबह जल्दी उठकर जाप कर पाएं तो बहुत अच्छा। यदि ऐसा संभव न हो, तो रात को सोने से पहले इसका जाप करें।
ॐ का जाप करने के लिए किसी भगवान की मूर्ति, चित्र, धूप, अगरबत्ती या दीये की जरूरत नहीं होती है।
यदि खुली जगह जैसे कोई मैदान, छत या बगीचा न हो तो कमरे में ही इसका जाप करें।
साफ जगह पर जमीन पर आसन बिछाकर जाप करें। पलंग या सोफे पर बैठकर जाप न करें।
’ॐ’ का उच्चारण तेज आवाज में करें।
साफ आसन पर पद्मासन बैठें और आंखें बंद कर पेट से आवाज निकालते हुए जोर से ॐ का उच्चारण करें। ॐ को जितना लंबा खींच सकें, खींचें। सांस भर जाने पर रुकें और फिर यही प्रक्रिया दोहराएं।
उच्चारण खत्म करने के बाद 2 मिनट के लिए ध्यान लगाएं और फिर उठ जाएं।
इस मंत्र के नियमित जाप से तनाव से पूरी तरह मुक्ति मिलती है।
जाप के दौरान टीवी, म्यूजिक सिस्टम आदि बंद कर दें। कोशिश करें कि जाप के दौरान शोर न हो।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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