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नई दिल्ली में उत्तराखंड के जैविक उत्पादों की धूम

नई दिल्ली। भारतीय महिला जैविक उत्सव 2017 में उत्तराखंड के जैविक उत्पादों की धूम रही। जैविक उत्सव का उद्देश्य महिलाओं और उनके नेतृत्व वाले ग्रुपों को प्रोत्साहित करना था, ताकि महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो सकें। स्थानीय उत्पादों से स्वरोजगार की राह मिल सके।

महिला और बाल विकास मंत्रालय की ओऱ से भारतीय महिला जैविक उत्सव 15 अक्टूबर, 2017 को पूरा हो गया। दिल्ली हाट में आयोजित उत्सव में महिला किसानों और अन्य उत्पादकों के जैविक उत्पाद पेश किए गए। इनमें खाने पीने की सामग्री. रसोई उत्पाद, मसाले और सौन्दर्य प्रसाधन के प्रोडक्ट रखे गए थे। इसमें 25 राज्यों से महिला किसान और उद्यमियों ने भागीदारी की। इस दौरान 1.84 करोड़ रुपये की रिकार्ड बिक्री की गई। इस उत्सव में 2.3 लाख लोग पहुंचे।

उत्तराखंड की दमयंती का कहना है कि हम बहुत खुश हैं कि हमें दिल्ली में अपने उत्पाद बेचने का अवसर मिला। हमें अपने उत्पाद दो बार मंगाने पड़े, क्योंकि एक सप्ताह में ही काफी उत्पाद बिक्री हो गए थे। उत्पाद बिक्री से हुए फायदे से मेरी बेटी की पढ़ाई में मदद मिलेगी। मणिपुर की किसान थोपचम सौनालिका देवी कहती हैं कि भारतीय महिला जैविक उत्सव में मणिपुर का चाखो काला चावल पेश करने के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय का आभार व्यक्त करते हैं। यह चावल दिल्ली के लोगों के लिए पूरी तरह से नया है। भारतीय महिला जैविक उत्सव में भाग लेने वाली महिलाओं ने महिला ई-हाट में नामांकन कराया। यह प्लेटफार्म महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण को मजबूत करता है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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