health

लिवर के लिए खतरनाक हो सकता है रात में काम

लंदन


एक शोध में खुलासा हुआ है कि रात के समय काम करना स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। चूहों पर किए गए एक अध्ययन में सामने आया है कि रात की सप्रियता सामान्य जैविक प्रक्रिया को बुरी तरह प्रभावित करता है, जो लिवर के लिए बेहद हानिकारक है। शोधकर्ताओं ने चूहों पर प्रयोग कर पाया कि लिवर का आकार रात में बढ़ता है और वह खुद को ज्यादा खुराक के लिए तैयार करता है, लेकिन उसे समय पर उतनी खुराक नहीं मिल पाती। शोधकर्ताओं ने बताया है कि जब सामान्य जैविक प्रक्रिया की लय उलट जाती है, तो लिवर के घटने-बढ़ने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि व्यावसायिक बाधाओं या निजी आदतों के चलते हमारी जैविक घड़ी यानी बायोलॉजिकल क्लॉक और दिनचर्या बिगड़ने का सीधा असर लिवर के स्वास्थ्य पर पड़ता है। प्रयोग के दौरान अध्ययनकर्ताओं ने चूहों को रात में चारा दिया, जबकि दिन में आराम करने दिया गया। जिनेवा यूनिवर्सिटी के शोध प्रमुख फ्लोर सिंटूरल ने बताया कि हमने पाया कि रात में सक्रियता की अवधि यानी एक्टिव फेज़ के दौरान लिवर 40 प्रतिशत से अधिक बढ़ता है। दिन के दौरान यह शुरुआती आकार में वापस आ जाता है। बायोलॉजिकल क्लॉक में बदलाव से यह प्रक्रिया प्रभावित होती है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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