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दुनिया का सबसे छोटा रोबोट रोजाना करेगा हजारों सर्जरी

लंदन। क्या तकनीकी तरक्की के दौर में मनुष्य का काम रोबोट संभाल लेंगे। सामान्य कामकाज तो समझ में आते हैं, लेकिन सर्जरी जैसे जटिल काम भी रोबोट के भरोसे छोड़ दिए जाएंगे। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने सर्जरी करने में सक्षम दुनिया के सबसे छोटे रोबोट को विकसित करने में सफलता हासिल की है।
यह सर्जिकल रोबोट रोजाना हजार मरीजों का ऑपरेशन कर सकता है। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 100 वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की एक टीम ने मोबाइल फोन और अंतरिक्ष के लिए विकसित की गई टेक्नोलॉज़ी का इस्तेमाल कर इस रोबोटिक आर्म का निर्माण किया है, जिसे एक छेद के जरिए सर्जरी के लिए विकसित किया गया है।
वैज्ञानिकों ने इस सर्जिकल रोबोट का नाम ‘वर्सियस’ दिया है। यह सर्जिकल रोबोट लैप्रोस्कोपिक विधि से की जाने वाली विभिन्न तरह की सर्जरी कर सकता है, जिसमें हॉर्निया का ऑपरेशन, कोलोरेक्टल ऑपरेशन, प्रोस्टेट ग्रंथि के अलावा नाक, कान एवं गले का ऑपरेशन भी शामिल है।

इस तरह की सर्जरी में क्रोनिक सर्जिकल प्रोसिज़र की बजाय सिर्फ एक चीरा लगाया जाता है,कैंब्रिज मेडिकल रोबोटिक्स के अनुसार, इस रोबोट का नियंत्रण सर्जरी 3 डी स्क्रीन के जरिए कर सकते हैं। दुनिया में मानव पर निर्भरता कम करने के लिए रोबोट का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है।

आने वाले समय में क्या पूरी दुनिया खुद से ज्यादा रोबोट पर निर्भर करेगी। हाल ही में रोबोट के गश्त करने की खबर पढ़ने को मिली थी। लेकिन रोबोट के रोजाना हजारों सर्जरी करने के प्रयोग में सफलता से साबित हो रहा है कि आने वाले दिन रोबोटिक्स के ही होंगे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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